पटना सिटी की रहने वाली 17 साल की ज्योति एक साल से नहीं सो पाई है। वह 24 घंटे में मुश्किल से 3 घंटे सोती है। डॉक्टर नींद की दवा दे रहे, इसके बाद भी नींद नहीं आ रही है। दानापुर का अनिरुद्ध भी 2020 से नींद की बीमारी से परेशान है। एक दो नहीं ऐसे 45 प्रतिशत बच्चे हैं, जो पोस्ट कोविड में नींद की समस्या से परेशान हैं। डॉक्टर बच्चों के भविष्य को लेकर इसे बड़ा खतरा बता रहे हैं। ऐसे बच्चों को मनोचिकित्सक काउंसलिंग के जरिए सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं।

2021 के बाद से पूरी नहीं हुई नींद
पटना सिटी की रहने वाली 17 साल की ज्योति मार्च 2021 के बाद से अब नींद पूरी नहीं कर पाई है। नींद की दवा खाने के बाद भी वह नहीं सो पा रही है। अब तो नींद की दवा का साइड इफेक्ट दिखने लगा है। इलाज करने वाले डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि ज्योति के परिवार में कई सदस्य को कोरोना हुआ था। इस वह संक्रमित नहीं हुई, लेकिन साइड इफेक्ट घर वालों से अधिक ज्योति पर दिखा है। घर वालों का कहना है कि ज्योति का बहुत टेस्ट कराया गया, कई डॉक्टरों से इलाज कराया गया। अब तक कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है। पोस्ट कोविड का मामला मानकर डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।

नींद नहीं आने के कारण घबराहट
10 वीं की छात्रा ज्योति की काउंसलिंग करने वाले मनोचिकित्सक डॉ. मनोज का कहना है कि कम सोने के कारण छात्रा काफी परेशान है। वह घबराहट की बात करती है। वह चिढ़चिढ़ापन की शिकार हो गई है। डॉक्टर मनोज का कहना है कि केस हिस्ट्री में पता चला कि वह एक साल से नींद की दवा खा रही है। दवा खाने के बाद 24 घंटे में मात्र 3 से साढ़े 3 घंटे सोती है। अब उसकी पढ़ाई बाधित हो गई है। आत्म विश्वास की कमी हो रही है। घर वालों का कहना है कि ज्योति पढ़ाई में काफी तेज रही है। 10 वीं में वह 82 प्रतिशत अंक लाई थी, लगता है कि इंटर में 40 प्रतिशत अंक भी नहीं आएगा। वह काफी सुस्त हो गई और लोगों से उसका जुड़ाव भी कम हो गया है। वह पूरी तरह से डिप्रेशन के दौर में है। अब तो नींद की कोई भी दवा भी काम नहीं कर रही है।

स्कूल में गिरकर बेहोश हो गया छात्र
दानापुर का रहने वाला 16 साल का अनिरुद्ध 11 वीं पास कर लिया है। वह दीघा के एक बड़े प्राइवेट स्कूल के छात्र हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 2021 में 26 जनवरी 2020 में परेड ग्राउंड में चक्कर खाकर गिर गए। काफी देर बाद बहोशी टूटी, बाद में पता चला कि घटना का कारण नींद पूरा नहीं होना है। पूरी रात जाग कर बीतती थी, वह मुश्किल से दो से तीन घंटे ही सो पाता था। इस कारण से खून की कमी के साथ अन्य समस्या हो गई थी। घर वालों का कहना है कि उसे कोरोना हो गया था, इसके बाद से ही उसे परेशानी होने लगी है।

कोरोना में ऑक्सीजन हो गया था कम
अनिरुद्ध को कोरोना हुआ था और उसका ऑक्सीजन लेबल भी कम हो गया था। घर वालों के साथ वह फंगल इंफेक्शन को लेकर काफी डर गया था। काफी स्टेरायड भी चला था। इलाज से कोरोना ठीक हो गया, लेकिन इसका साइड इफेक्ट अभी तक नहीं दूर हो पाया है। काफी इलाज के बाद भी जब आराम नहीं हुआ तो उसे एंजाइटी की समस्या मानकर मनोचिकित्सकों के पास रेफर किया गया। डॉ मनोज का कहना है कि हिस्ट्री में पता चला कि कोरोना का ऐसा डर है कि वह दिन में भी खुली आंखों से कोरोना के सपने देखता है। वह किसी भी दिन सो नहीं पाता है,ऐसे में नीद पूरी नहीं होने से कई बड़ी समस्या से घिर गया है। पढ़ाई के साथ उसका व्यवहार भी बदलता जा रहा है।

7 चक्र में पूरी होती है नींद
डॉक्टरों का कहना है कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति की नींद 7 चक्र में पूरी होती है। डॉक्टर बताते हैं कि 7 च्रक में नींद पूरी होती है, एक चक्र 45 मिनट का होता है। व्यक्ति जब 7 चक्र पूरा कर लेता है तो उसका अगला दिन सही होता है। यह चक्र रैपिड आई मूवमेंट और नन रैपिड आई मूवमेंट होता है। इसमें 7 चक्र पूरा नहीं करने वालों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होती है, थायरायड, ब्लड प्रेशर, शुगर के साथ अन्य समस्या बढ़ सकती है।