भागलपुर : भागलपुर में दाल की कीमत सूबे में सबसे तेज है। दालों में तेजी का आलम यह है कि पटना व मुजफ्फरपुर ही नहीं पड़ोसी जिले खगड़िया, कटिहार व मुंगेर से भी महंगी दाल भागलपुर में बिक रही है।


इसका खुलासा खाद्य आपूर्ति विभाग की जारी रिपोर्ट में की गयी है। सरकारी रिपोर्ट की दर और बाजार की कीमत में भी असमानता है। बाजार में कीमत सरकारी से एक-दो रुपये ज्यादा ही है। भागलपुर में कीमत अधिक क्यों है, इसकी सही जानकारी न व्यवसायी संघ को है, न प्रशासन को। अलबत्ता, उपभोक्ताओं को ऊंची कीमत पर दाल खरीदनी पड़ रही है।

50 लाख किलो दाल भागलपुर में बिकती है प्रतिमाह
जारी रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर में अरहर दाल 108 रुपये, मसूर दाल 93 रुपये, मूंग दाल 104 रुपये, उरद दाल 108 रुपये और चना दाल 74 रुपये प्रति किलो बिक रही है। इन जिंसों का बाजार भाव मुख्य बाजार में करीब-करीब एक समान है। जबकि गली-मोहल्ले की दुकानों में इससे ज्यादा है।

खाद्यान्न व्यवसायी संघ के उपाध्यक्ष अभिषेक जैन ने बताया कि भागलपुर में दिल्ली और मध्य प्रदेश से दाल की सप्लाई होती है। प्रतिदिन 10 ट्रक दाल की आवक है। प्रतिमाह करीब 500 टन यानी 50 लाख किलो दाल की बिक्री भागलपुर में होती है। सिर्फ दलहन का करोड़ों रुपये का मासिक कारोबार होता है। भागलपुर आसपास के जिलों की बड़ी थोक मंडी भी है।

कीमतों में अंतर ब्रांड को लेकर होता है: डीएसओ
दाल की बेलगाम कीमत पर बंदिश को लेकर आपूर्ति विभाग के हाथ बंधे हैं। जिला आपूर्ति पदाधिकारी अंजनी श्रीवास्तव ने बताया कि एमओ को बाजार भाव संकलित करने की जिम्मेदारी दी गई है। बाजार में जैसा भाव है, उसी के हिसाब से वे रिपोर्ट देते हैं। अब बाजार में खाद्य सामग्रियों के मूल्य व स्टॉक के नियंत्रण का अधिकार जिलों से छिन गया है।

कालाबाजारी या मुनाफाखोरी की शिकायत अधिक मिलने पर वरीय अधिकारियों के निर्देश पर ही दुकानों की जांच आदि की जाती है। कीमतों में अंतर ब्रांड को लेकर होता है। यह जरूरी नहीं कि भागलपुर में जिस ब्रांड का रेट दिया गया है, वह पटना या मुजफ्फरपुर में भी हो। ब्रांड को लेकर विभाग से कोई गाइडलाइन नहीं मिला है।