झारखंड में शराब के शौकीनों के लिए एक चौकाने वाली खबर सामने आई है। दरअसल झारखंड की महंगी शराब की बोतलों में अब नार्थ ईस्ट में सस्ते दर पर बिकने वाली शराब की सप्लाई धड़ल्ले से हो रही है। मतलब साफ है कि शराब की बोतलें तो झारखंड की हैं लेकिन उसमे भरा जाने वाला शराब नॉर्थ ईस्ट शहरों का है।


झारखंड में इन दिनों यह मिलावट का खेल खूब फल-फूल रहा है। इससे न सिर्फ सरकार के राजस्व को चुना लगाया जा रहा है बल्कि लोगों के साथ भी ठगी की जा रही है। दरअसल इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब झारखंड-बिहार के शराब तस्करों का लिंक नॉर्थईस्ट से जुड़ा।

बता दें, अरुणाचल प्रदेश में बिक्री के नाम पर शराब के तस्कर चांदी काट रहे हैं। दरअसल कागजों में पंजाब की डिस्टलरी द्वारा शराब को केवल अरुणाचल में बेचने के लिए तैयार किया जाता है. अरुणाचल में शराब टैक्स फ्री होती है। लेकिन, यह शराब झारखंड होते हुए ड्राइ स्टेट बिहार में भी पहुंच जा रही है। इससे हर साल सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है। साथ ही लोगों के लिए ये शराब हानिकारक भी होता है क्योंकि इसमें मिलावट भी की जाती है।

मिली जानकारी के अनुसार इस काले धंधे में कबाड़ी दुकानदार भी ऐसे शराब तस्कर गिरोह का हिस्सा चाहे-अनचाहे बन जाते हैं, क्योंकि इन शराब तस्करों को महंगे ब्रांड की खाली बोतलें यहीं से मिलती है। इस मामले में जब हमने कबाड़ी दुकानदार से बात की तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया। उन्होंने यह भी बताया कि शराब की खाली बोतलों का रेट भी आम बोतलों से अधिक होती है।

हालांकि पूरे मामले पर सहायक उत्पाद आयुक्त रामलीला रवानी का कहना है कि जो भी कंसाइनमेन्ट आता है उसे बॉर्डर पर ही पकड़ लिया जाता है। लेकिन कुछ लोग जो रिफिलिंग का काम करते हैं उन पर सूचना के अनुसार कार्रवाई की जाती है। राजधानी के शराब तस्करों में गणेश गोराई, बालकरण, अजय साहू, संजय साहू और संजय यादव जैसे लोग शामिल हैं।

दर्जनों गैंग कर रहे काम
बताया जाता है कि इन सभी तस्करों का नेटवर्क चंडीगढ़ से निकलकर अरुणाचल जाने वाली शराब की तस्करी के लिए काम करता है। सस्ती दर वाली शराब अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ से मंगवाकर रांची में रिपैकेजिंग करवाकर बिहार और रांची के लोकल बाजार में बेचा जाती है। इन रिपैकेजिंग दुकानों को ढाबे और लाइन होटलों मे भी खपाया जाता है। जानकारी के अनुसार लाइसेंसी दुकानों तक भी इनकी पैठ देखने को मिलती है। इसी वजह से कुछ दुकानों को सील भी किया गया था। हालांकि सबसे ज्यादा इन शराब को बिहार भेज ज्यादा मुनाफा कमाया जाता है।