मुजफ्फरपुर। ब्रेन ट्यूमर की सही समय पर पहचान होने पर इसका कारगर इलाज संभव है। इसका समय पर पहचान होने के साथ विशेषज्ञ से इलाज होना जरूरी है। जिले और आसपास में ब्रेन ट्यूमर के मरीज मिल रहे है। एसकेएमसीएच व होमी भाभा कैंसर रिसर्च सेंटर हॉस्पिटल में हर माह 40 से 50 मरीज आ रहे है।
एसकेएमसीएच के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. दीपक कर्ण ने बताया कि उनके यहां आउटडोर में हर माह 25 से 30 मरीज ब्रेन ट्यूमर के आ रहे हैं। सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं बनते और अधिकतर ये मस्तिष्क के बाहर नहीं फैलते। एक समय लोग सर्जरी के नाम से डरते थे, लेकिन आज आधुनिक तकनीक आने के कारण ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी काफी सुरक्षित एवं प्रभावी हो गई है।
सर्जरी के बाद ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम लोगों की तरह लंबा जीवन जीते हैं। बताया कि भारत में हर साल 40 से 50 हजार मरीजों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है और इनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया के बाद ब्रेन ट्यूमर सर्वाधिक सामान्य कैंसर है।
होमी भाभा कैंसर हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के प्रभारी डा.रविकांत ने बताया कि उनके यहां 15 से 20 मरीज आ रहे हैं। अभी जांच व इलाज की सुविधा है। सर्जरी के लिए वाराणसी भेजा जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 50 प्रतिशत लोगों को एक साल बाद इस बीमारी के बारे में पता लगता है।
12 से 13 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें पांच साल बाद इसके बारे में पता चलता है। 20 से 40 वर्ष के लोगों में यह कैंसर रहित ट्यूमर के रूप में पाया गया है। साल 2000 में आज के ही दिन 8 जून को जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन ने विश्व ब्रेन ट्यूमर डे मनाने का फैसला किया। उसके बाद जागरूकता के लिए हर साल मनाया जाता है।
