बिहार के मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य महकमे की जानलेवा लापरवाही सामने आई है। सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा मरीज अरविंद रजक दर्द से घंटे भर छटपटाते हुए मर गया। लेकिन, डॉक्टर नहीं आए।

सिकंदरपुर धोबी घाट निवासी अरविंद रजक की मौत की सूचना मिलने पर परिजन और मोहल्ले के दर्जनों लोग अस्पताल पहुंच गये। परिजनों ने डॉक्टरों व कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। लोगों का आक्रोश देख अस्पताल के गार्ड और कर्मी भी वहां से हट गये। लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ का प्रयास किया।

सूचना पर आयी पुलिस ने करीब दो घंटे में आक्रोशितों को समझा बुझाकर शांत कराया। प्रभारी थानेदार ओमप्रकाश ने बताया कि परिजनों के बयान पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। परिजनों का आरोप है कि अरविंद दर्द से छटपटा रहे थे।

वे लोग डॉक्टर को खोज रहे थे, लेकिन एक घंटे बाद भी कोई डॉक्टर अरविंद को देखने नहीं पहुंचे। परिजन रो रोकर कर्मियों से फरियाद कर रहे थे। लेकिन उनलोगों की कोई नहीं सुन रहा था। इस बीच अरविंद की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार ने कहा कि मरीज की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई थी। डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं थे।

मुंह से गिरने लगा खून
मृतक के भाई बबलू रजक ने बताया कि उनके भाई मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे। वे मजदूरी कर घर लौटे थे। खाना खाने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई। उनके मुंह से खून गिरने लगा। आनन फानन में वे लोग अरविंद को लेकर अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी का पूर्जा कटवाया। लेकिन डॉक्टर के रूम में ताला लटका था। मौत के बाद एक कर्मी पूर्जा लेकर भाग गया।

कई मरीज लौटे
अस्पताल में हंगामा और डॉक्टर के नहीं रहने पर तीन और मरीज वहां से लौट गए। इसमें एक मरीज ठेला पर पहुंचा था। जबकि दूसरे मरीज का हाथ बुरी तरह जख्मी था। तीसरे मरीज की गंभीर स्थिति थी। एमआईटी झिटकहियां के मो जवार अपनी बेटी सबीना को लेकर रात में सदर अस्पताल पहुंचे। काफी देर डॉक्टर का इंतजार करने के बाद उसे भी केजरीवाल अस्पताल ले जाना पड़ा।
