पटना से दिल्ली जा रहे स्पाइसजेट के विमान के इंजन में रविवार को आग लगने की वजह बर्ड हिट मानी जा रही है। पटना एयरपोर्ट के चारों ओर चील का चारा और पक्षियों का बसेरा है। यहां हर समय पक्षी मंडराते रहते हैं। एयरपोर्ट के पास ही संजय गांधी जैविक उद्यान है। गौरेया का झुंड कम ऊंचाई पर उड़ता रहता है। इससे पटना से उड़ने और लैंड करने वाले विमानों से पक्षियों के टकराने का खतरा रहता है।
आशंका जताई जा रही है कि रविवार को स्पाइसजेट की फ्लाइट के इंजन में आग चीज जैसे किसी पक्षी के टकराने की वजह से लगी। पटना एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही विमान परिसर से बाहर निकल जाते हैं, ऐसे में इन पक्षियों को कंट्रोल करना एयरपोर्ट प्रशासन के बस में नहीं है। हालांकि, हादसे के बाद रनवे और इसके आसपास बर्ड चेजरों की सतर्कता बढ़ा दी गई है।

रनवे के पूर्व की ओर काफी संख्या में पेड़-पौधे हैं। यहां अक्सर पक्षियों का कलरव देखने को मिलता है। पटना एयरपोर्ट पर विमानों के टेकऑफ और लैंडिंग के वक्त पक्षियों को चक्कर लगाते देखा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बर्ड हिट की घटना अक्सर विमान के रनवे से उड़ान भरने और उतरने के दौरान ही होती हैं।

फुलवारीशरीफ की तरफ कूड़े का ढेर
एयरपोर्ट के दक्षिण की ओर फुलवारीशरीफ के पास कूड़े का अंबार लगा हुआ है। रेलवे लाइन के आसपास कूड़ा फेंका जाता है। यहां मांस और मछली के अपशिष्ट पदार्थ भी फेंके जाते हैं। रिहायशी इलाके के लोग भी भोजन का अपशिष्ट यहीं डालते हैं। ऐसे में मांसाहारी पक्षियों का यहां अक्सर जमावड़ा लगा रहता है।

खुले में मांस मछली की दुकानें
इसके अलावा एयरपोर्ट के उत्तर की ओर जैविक उद्यान, अरण्य भवन और बेली रोड पर रिहायशी इलाके हैं। यहां भी पक्षी मंडराते रहते हैं। बेली रोड पर मांस मछली की खुले में बिक्री की जाती है।

रोजाना सड़क पर मांस की दुकानें सजती हैं। इससे निकलने वाले कचरे को जगदेव रोड या वेटनरी कॉलेज के पास फेंक दिया जाता है। राजवंशी नगर में भी खुले में मांस-मछली का कारोबार होता है। इससे निकलने वाले कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में एयरपोर्ट के दो किलोमीटर के दायरे में पक्षी मंडराते रहते हैं और बर्ड हिट की घटनाएं होती हैं।
