मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में रेप केस के मामले में पुलिस की ला’परवाही का मामला प्रकाश में आया है। दु’ष्कर्म का जो केस आज से आठ साल पहले दर्ज हुआ था उसमें 164 का बयान दर्ज कराने के लिए पी’ड़िता को कोर्ट लाया गया। कोर्ट ने 164 का बयान दर्ज करने से मना कर दिया है। मामला हथौड़ी थाना इलाके का है।
पीड़िता का कहना है कि आठ साल पहले उसके साथ दु’ष्कर्म हुआ। गांव का ही गणेश पंडित जमीन व रुपये देने का प्रलोभन देकर दु’ष्कर्म कर रहा था। बाद में जमीन व रुपया देने से इंकार कर दिया। तब इसकी शिकायत करने उसके घर गई तो उसके परिवार के मुरारी पंडित और सरोज पंडित ने मा’रपीट कर भगा दिया।
आठ साल पहले हुई इस घ’टना की प्रा’थमिकी दर्ज कराने हथौड़ी थाने में गई, लेकिन पुलिस ने थाने से भगा दिया था। तब कोर्ट में परिवाद दायर कराया। कोर्ट के आदेश पर हथौड़ी थाने की पुलिस ने 22 मई 2014 को प्रा’थमिकी दर्ज की थी। इसके बाद भी द’बंग आ’रोपितों पर पांच साल तक पुलिस ने कोई का’र्रवाई नहीं की।
इस दौरान आ’रोपित की गि’रफ्तारी के लिए सं’घर्ष करती रही। दर्जनों बार अधिकारियों के कार्यालय में आवेदन दिया। लेकिन, हथौड़ी पुलिस दबाकर बैठी रही। तत्कालीन आईजी से मिलने के बाद 2019 में का’र्रवाई शुरू हुई और मुख्य आ’रोपित गणेश पंडित की गि’रफ्तारी हुई। उसे जे’ल भेजा गया और सात जुलाई 2019 को पुलिस ने उसके खि’लाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।
अब तक मुरारी पंडित और सरोज पंडित की गि’रफ्तारी नहीं हो पाई। 164 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को कोर्ट लेकर आए कांड के आईओ जीतेंद्र कुमार ने बताया कि केस लंबित चल रहा था। वरीय अधिकारियों की समीक्षा में केस के लंबित रहने का मामला सामने आया, जिसके बाद पीड़िता का बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया गया। हालांकि न्यायालय में लायी गई पीड़िता का बयान दर्ज नहीं हो सका। एडीजे ने पुलिस के आवेदन देने पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब मुख्य आरेपित पर न्यायालय में ट्रायल चल रहा है तो अलग से 164 का बयान का कोई मतलब नहीं है। पीड़िता अपनी बातें गवाही के दौरान ही कोर्ट को बता सकती है। इसके बाद आईओ जीतेंद्र कुमार पीड़िता को वापस हथौड़ी ले गए।
