श्रावणी मेला:अजगैबीनाथ मंदिर में एक लाख कावंरियाें के रहने व खाने की रहेगी नि:शुल्क व्य’वस्था

काेराेना की वजह से इस बार दाे साल बाद श्रावणी मेला लगने की तैयारी चल रही है। छह जुलाई को देवघर में बैठक हाेनेवाली है। बैठक के बाद ही पता चलेगा कि इस बार मेला लगेगा या नहीं। हमलोगों का ध्यान बैठक पर ही टिका है। मेला लगने की घोषणा हाेने के साथ तैयारी में तेजी अा जाएगी। सुल्तानगंज से कांवरिये जल लेकर बाबा वैद्यनाथ धाम जाते हैं।

Early rock carvings. - Picture of Ajgaibinath Temple, Bhagalpur -  Tripadvisor

पहले की तुलना में इस बार भीड़ दाेगुनी हाेने की संभावना है। इसके लिए जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। मंदिर परिसर का रंग-रोगन से लेकर साफ-सफाई अाैर रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। इस बार मेला का आयोजन हुआ, तो कांवरियों की संख्या पहले से ज्यादा होगी। उनलाेगाें काे कई बदलाव देखने काे मिलेंगे। अजगैबीनाथ पुल पर प्रशासन की ओर से शेड लगाए जा रहे हैं, ताकि गर्मी में लाेगाें काे थाेड़ी राहत मिल सके। इसके अलावा अजगैबीनाथ मंदिर‌ की नवनिर्मित पक्की सीढ़ी घाट पर बदलाव दिखेगा।

मेला में आने वाले काफी संख्या में कांवरिये गंगा जल उठाने से पहले मंदिर परिसर में ठहरते हैं, उन्हें मंदिर प्रबंधन की अाेर से नि:शुल्क भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है। पहले जहां 24 घंटे में औसतन 500 से 1000 कांवरिये के ठहरने और  खाने की व्यवस्था की जाती थी। इस बार राेज करीब 3000 कांवरियाें के लिए व्यवस्था रहेगी। यानी, माहभर तक चलनेवाले इस मेले में करीब एक लाख कांवरियाें के ठहरने और खाने की व्यवस्था रहेगी।

खराब बाेरिंग काे दुरुस्त कराए प्रशासन, नहीं ताे हाेगा संकट कांवरियों को मंदिर परिसर में ठहरने पर पेयजल की समस्या हाेगी। मंदिर परिसर में पहले से लगे बोरिंग से गंदा पानी निकलता है, जाे पीने योग्य नहीं है। मंदिर के नाम से सात वर्ष पहले अजगैबीनाथ पुल के आरंभिक स्थल के पास पीपल पेड़ के समीप के बोरिंग का कनेक्शन मंदिर में दिया गया है। लेकिन स्टार्टर नहीं लगाने से इस बोरिंग का पानी मंदिर परिसर में उपयोग नहीं हो पा रहा है।

इससे मंदिर परिसर में रहने वाले पंडा और पुजारियों को पानी का जार खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। रोजाना करीब हजार रुपए का पानी खरीदकर लाया जा रहा है। प्रशासन काे इस ओर ध्यान देना हाेगा। अब तक स्थाई समाधान नहीं हो सका है। अगर इस व्यवस्था काे दुरुस्त नहीं किया गया ताे कांवरियों को मंदिर परिसर में पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा। पेयजल को छोड़कर अन्य सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक हैं।

काेराेना खत्म हाे मन्नत मांगेंगे श्रद्धालु पिछले दो वर्षाें से कोरोना के कारण मेला नहीं लगा। इस कारण से इस इलाके के लाेगाें काे अार्थिक नुकसान भी हुआ लाेग श्रावणी मेला के दाैरान कई तरह का काराेबार करते हैं।

काेई हाेटल चलाते हैं, ताे काेई पूजा-पाठ कराते हैं। कई लाेग कांवर से लेकर जलपात्र की दुकान सजाते हैं। लेकिन दाे साल तक मेला नहीं लगने से उनलाेगाें काे आर्थिक संकट से जूझना पड़ा। जबकि जब इस बार मेला का आयोजन होने की संभावना है।

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