मद्रास हाईकोर्ट ने तलाक के एक केस में फैसला सुनाते हुए पति या पत्नी के एक-दूसरे के चरित्र पर शक करने को क्रूरता करार दिया है। जस्टिस वीएम वेलुमणि और जस्टिस एस सौंथर की बेंच ने सी शिवकुमार के तलाक को मंजूरी दे दी।

बेंच ने यह कहा कि पत्नी श्रीविद्या को पति के चरित्र पर संदेह था, जिसके चलते सीन क्रिएट करने के लिए वह उसके ऑफिस गई। श्रीविद्या के पास कोई सबूत न होने के बावजूद उसने शिवकुमार के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई। यह सब मानसिक क्रूरता की कैटेगरी में आता है।

पति के ऑफिस जाकर किया गंदी भाषा का इस्तेमाल
कोर्ट ने कहा कि श्रीविद्या, पति की पड़ताल करने उसके कॉलेज गई। जहां उसने गर्ल स्टूडेंट्स और फीमेल स्टाफ के साथ शिवकुमार के अवैध संबंध होने का आरोप लगाया। बेंच ने कहा- श्रीविद्या का यह काम हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत मानसिक क्रूरता है।

ऐसा करके उसने पति की इमेज खराब की जिसे सुधारा नहीं जा सकता है। इसके पहले फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर शिवकुमार की तलाक की अर्जी ठुकरा दी थी, इसके खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं शिवकुमार
सी शिवकुमार एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं। जबकि पत्नी श्रीविद्या एक सरकारी स्कूल की टीचर हैं। दोनों की शादी 10 नवंबर 2008 को हुई थी। दोनों बमुश्किल ढाई साल ही साथ रहे।

श्रीविद्या ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शिवकुमार के फीमेल प्रोफेसर्स के साथ अवैध संबंध हैं और देर रात तक उनसे फोन पर बात करता है। श्रीविद्या ने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत देते हुए अपनी बेटी के भविष्य के लिए साथ रहने की मांग की थी।

शिवकुमार का आरोप- पत्नी मंगलसूत्र उतार फेंका था
कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवकुमार ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने 2011 से ही मंगलसूत्र नहीं पहना है। उसने रिश्ता तोड़ते हुए मंगलसूत्र गले से निकालकर फेंक दिया था। इस पर श्रीविद्या ने कहा था कि मंगलसूत्र उतारने से रिश्ता नहीं टूटता।इसे हटाने का शादी पर असर नहीं पड़ना चाहिए।इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि मंगलसूत्र जैसी पवित्र निशानी को हटाना अलग ही मायने रखता है। जो यह बताता है कि श्रीविद्या शादी को बनाए रखना नहीं चाहती थी। इसलिए दोनों का तलाक मंजूर किया जाता है।