प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना दौरे पर आए तो उन्होंने इसके माध्यम से बिहार NDA में चल रही खींचतान को भी समाप्त करने की कोशिश की। सबसे बड़ी बात ये है कि PM ने CM नीतीश कुमार खूब तारीफ की। यही नहीं जब उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया तो नीतीश कुमार को जनप्रिय मुख्यमंत्री कह कर संबोधित किया।

हालांकि, BJP और JDU बिच के रिश्ते सहज नहीं है। लेकिन, मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना में विधानसभा परिसर में अपने भाषण के दौरान नीतीश कुमार की इतनी तारीफ कर दी आने वाले कुछ महीनों तक JDU इस बोझ से दबा रहेगा।हालांकि, इससे पहले जब झारखंड के देवघर में दो अलग कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिया तो वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तारीफ नहीं थी। लेकिन नीतीश कुमार द्वारा अपने पहले कार्यकाल में पंचायतीराज में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण देने को महत्वपूर्ण कदम बताया है। अब इसके बाद BJP और JDU के नेता भी नीतीश कुमार और PM की इस जुगलबंदी की खूब तारीफ कर रहे हैं।

विधानसभा के ऐतिहासिक फैसलों में नीतीश कुमार ने कई कानून बनाए
मंगलवार को PM नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का अनावरण किया। इसके साथ ही विधानसभा संग्रहालय और विधानसभा अतिथिशाला का भी शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने भी जब अपना संबोधन दिया तो PM नरेंद्र मोदी की तारीफ की साथ ही कहा कि आपने जो सलाह दिया है उसे पाल किया जाएगा। दरअसल, PM ने जब परिसर में कल्पतरु का पौधा लगा रहे थे तो उसे देख रेख को लेकर सलाह दी थी। फिर जब PM ने अपना भाषण शुरु किया तो कहा कि देश में पहली बार पंचायतीराज में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण लागू करने के का श्रेय नीतीश कुमार को दिया और कहा कि इसे देश में कई राज्यों ने अपनाया।

BJP-JDU को साथ रहना मजबूरी है
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव सामने हैं। ऐसे में दोनों की बाध्यता है कि एक दूसरे के साथ रहना है। तमाम तल्खियों के बावजूद भी इनका साथ में रहना मजबूरी है। विशेष राज्य का दर्जा हो, जाति जनगणना हो या फिर हाल के दिनों में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का सरकार पर अटैक करना, फिर, भूमि राजस्व सुधार मंत्री रामसूरत राय ने जिस तरह बाते कहीं। तमाम तल्खी के बावजूद दूर-दूर तक उनकी तल्खी नहीं दिखी।

क्योंकि दोनों जानते हैं कि 2024 और 2025 में एक दूसरे के साथ रहना है। इस बार बिहार में 40 सीटों का टारगेट है। नरेंद्र मोदी को केंद्र में सरकार बनानी है, सरकार में वापसी करना है तो, नीतीश कुमार को साथ रखना मजबूरी है। इधर, विधानसभा में JDU तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। ऐसे में इनकी भी मजबूरी है कि भाजपा के साथ रहना। तमाम गतिरोध के बावजूद भी नीतीश कुमार ने कभी भी अपने घटक दल बीजेपी के खिलाफ मुंह नहीं खोला, भले उनके नेता बोलते रहे लेकिन नीतीश कुमार कुछ नहीं बोले।


