हाजीपुर का कोठिया केला पेट की बीमारी पर बड़ा काम कर रहा है। पेट की गंभीर समस्या से लेकर फैटी लीवर के इलाज में यह काफी सहायक हो रहा है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए भी लोग कोठिया केला खा रहे हैं। यही कारण है कि देश में प्रसिद्ध चिनिया केले की जगह अब कोठिया केला ले रहा है। केले की खेती करने वाले किसानों की मानें तो हाल के दिनों में कोठिया केले की डिमांड 80 प्रतिशत तक बढ़ी है। यही कारण है कि अब किसान चिनिया की जगह कोठिया केले की खेती को तरजीह दे रहे हैं।

ऐसे बढ़ रहा खेती का दायरा
कोठिया केला हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में अधिक होता है। हाजीपुर के सचिन कुमार का कहना है कि उनके पास महज दो बीघा जमीन है। वह पार्ट टाइम इस पर केले की खेती करते हैं। रोजाना दो घंटे समय देने से साल में 50 हजार रुपए कमाते हैं। सचिन की माने तो चिनिया केला की जगह कोठिया केला की डिमांड बढ़ी है, इस कारण से हाजीपुर के किसान अब चिनिया की जगह कोठिया केला की खेती कर रहे हैं। केले के व्यापारी नरेश रोजाना साइकिल पर धंधा करते हैं। रोजाना केले से वह एक हजार रुपए तक कमा लेते हैं। नरेश का कहना है कि इस केले में पेट और लीवर की बीमारी ठीक होने का गुण है, इस कारण से चिनिया की जगह कोठिया केला की डिमांड होती है। लोगों की डिमांड को देखते हुए वह हर दिन सिर्फ कोठिया केला ही उठाते हैं और साइकिल पर 100 किलो से अधिक केले बेच देते हैं। हाजीपुर से किसानों से लेकर वह गायघाट से पत्थर की मस्जिद तक बेंच देते हैं।

बिहार में दवाई के लिए हो रहा इस्तेमाल
किसान कैलाश राय बताते हैं कि इसी केले की पूजा होती है और इसी से ही पेट की दवाई की जाती है। पटना से लेकर राज्य के अन्य जिलों में पेट की दवा के रूप में इसी केले का इस्तेमाल किया जाता है। कैलाश बताते हैं कि पटना में भी लोग डिमांड कर इसी केले को मंगाते हैं। उनका कहना है कि जो लोग केला ले जाते हैं, वह बाते हैं कि इससे पेट की बीमारी ठीक हो जाती है। लीवर में कोई समस्या होती है तो वह भी ठीक हो जाती है। पेट और लीवर की बीमारी के साथ साथ यह पेट में पकड़ने वाले कीड़ों पर भी अच्छा काम करता है। कैलाश का कहना है कि पेट की समस्या से परेशान लोग डिमांड कर कोठिया केला मांगते हैं। सचिन का कहना है कि केला तो हर सीजन में होता है। सचिन का कहना है कि थोड़े से खेत में कोठिया केले की खेती एक बार की फल दो से तीन माह में तैयार हो जाती है जिससे 50 हजार तक की कमाई हो जाती है। एक ही खेत में साल में 3 से 4 बार तक खेती हो जाती है।

बारिश नहीं होने से प्रभावित हुई खेती
हाजीपुर के किसान रघुनाथ का कहना है कि इस बार बारिश के कारण केले की खेती भी प्रभावित हुई है। बारिश नहीं होने के कारण पानी देना पड़ा है। बारिश के पानी से खेती में तेजी आती है, लेकिन इस बार सूखा के कारण समस्या हो गई। अगर खाद और पानी समय से कोठिया केले को दिया जाए तो जब तक सांस होगा केला कभी खत्म नहीं होगा। बिहार में केले की खेती की डिमांड है और इसमें कोठिया केला अब बहुत अधिक उगाया जा रहा है। बारिश अगर ठीक से हुई होती तो इस बार केले की पैदावर भी काफी अच्छी होती। हाजीपुर के इलाके में केले की खेती पर बारिश का बड़ा असर दिखता है। बारिश कम हुई तो भी समस्या और अगर बारिश अधिक हुई तब भी बाढ़ से खेती बर्बाद हो जाती है।

डॉक्टर भी मानते हैं केले का लोहा
पटना के फिजीशियन डॉ. राणा एसपी सिंह का कहना है कि केला काफी फायदेमंद होता है। कोठिया केला इसलिए फायदेमंद होता है क्यों कि यह कच्चा खाने में भी मीठा होता है। मीठापन की मात्रा अधिक होती है। इसके साथ ही इसमें गूदा अधिक होता है जिससे फाइबर की मात्रा भी काफी अधिक हो जाती है। फाइबर पेट और लीवर के लिए काफी फायदेमंद होता है। फाइबर सेहत के लिए हमेशा फायदेमंद होता है। केले में आयरन की मात्रा भी अधिक होती है। प्रचूर मात्रा में आयरन होने से अगर इसका नियमित उपयोग किया जाए तो शरीर में कभी खून की कमी होगी ही नहीं। लीवर को फाइबर ठीक करेगा और पेट को भी इससे मदद मिलेगी, वहीं आयरन से खून का लेबल सही होता है। अगर केले का अच्छा से यूज करें तो खून का स्तर हमेश अच्छा रहेगा।


