हाथ में कांवर। मुंह से बोलबम का जयकारा। मंजिल देवघर और ध्यान बाबा का। सावन महीने में कांवर यात्रा या डाक बम की दौड़ देखते ही बनती हैं। नंगे पांव, जमीन पर लेटकर और दौड़ते हुए बाबा धाम जाकर बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेक करना, एक बड़ी ख्याति प्राप्त मान्यता है। डाक बम को 24 घंटे के अंदर 105 किलोमीटर की दूरी (सुल्तानगंज से देवघर) तय करनी होती है। डाक बम कांवरियों को बाबा धाम में विशेष सुविधा मिलती है। इस कांवर यात्रा की शुरूआत उत्तरवाहिनी गंगा तट, सुल्तानगंज से होती है।

डाक बम संकल्प लेने के साथ ही सुल्तानगंज से दौड़ लगाना शुरू करते हैं। वे 24 घंटे के अंतराल में लगातार बिना रुके चलते और दौड़ते हैं और सीधे बाबा धाम पर जाकर रुकते हैं। कांवरिया पथ पर डाक बम रूकते नहीं है। यदि वो रूके तो उनकी यात्रा पूरी नहीं मानी जायेगी। एक जगह खड़ा होने के बाद भी उनका पैर चलते रहता है। प्रमाणपत्र लेने के बाद डाक कांवरियों को 24 घंटा के अंदर जलार्पण करना पड़ता है। कठिन साधना के बाद बाबा पर जलार्पण के बाद अद्भूत अनुभूति डाक कांवरियों को होती है।

डाक बम कांवरियों को मिलती है खास सुविधा
श्रावणी मेला में कांवरिये गंगाजल लेकर कांवरिया पथ से बाबा धाम देवघर जाते हैं। डाक बम वाले कांवरियों के लिए इस दौरान खास पूजा की सुविधा दी जाती है। इसके लिए भागलपुर जिला प्रशासन उन्हें सुल्तानगंज में निर्गत पास देता है। इस पास के जिए वे देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में विशेष पूजा कर सकते हैं।

बांका में मिलेगा पीला और गुलाबी कार्ड
सुल्तानगंज से रवाना होने वाले डाक कांवरियों को निर्गत पास दिया जाएगा। बांका पहुंचने पर अबरखा सरकारी धर्मशाला में उनके निर्गत पास की जांच की जाएगी और उन्हें पीला कार्ड दिया जाएगा। इसके बाद हड़खाड़ सरकारी धर्मशाला में तैनात उनका पीला कार्ड चेक कर उन्हें गुलाबी कार्ड देंगे। इन दोनों जगहों पर 24 घंटे पास निर्गत करने की सुविधा रहेगी। इन दोनों जगहों पर मिले पास के आधार पर ही देवघर में विशेष पूजा का पास बनेगा।



