सांस्कृतिक-साहित्यिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार की ओर से ‘ कविताओं वाली शाम अनवरत मौसम के नाम’ काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी में भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और साहित्यकार, वियतनाम में भारत के मिशन उप प्रमुख सुभाष गुप्ता मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव नारायण ने की।

अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के अध्यक्ष विरेंद्र कुमार यादव, महासचिव डॉ. अंशु माला, वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर, शायर समीर परिमल, कुमार रजत, अर्चना त्रिपाठी, डॉ. नीतू नवगीत, अंकेश सहित अनेक कवियों ने इस अवसर पर काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी में कवि सुभाष गुप्ता को नवगीतिका लोक रसधार की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया।


आषाढ़ महीने पर कविता में बागमती और अपने गांव को याद किया
मुख्य अतिथि सुभाष गुप्ता ने अपने दूसरे काव्य संग्रह ‘ अनवरत मौसम के नाम ‘ में शामिल कविताओं का पाठ किया। उन्होंने ऋतुराज बसंत, ग्रीष्म ऋतु और सावन से जुड़ी कविताओं का पाठ किया। मां को समर्पित कविता के माध्यम से सुभाष गुप्ता ने सभी के दिलों को छू लिया। आषाढ़ महीने पर कविता के माध्यम से उन्होंने बागमती और अपने गांव को याद किया- जब कृष्ण घन के फाहें रवि के मुख को ढंक लेते हैं फिर झंझावात की गर्जना से इन्द्र नवसर्जन करते हैं जब आधी रात या भोर में बादल घुमड़ने लगते हैं किसानों के मन में अभिलाषा के कोंपल निकलते हैं

मैं सियासत में चल न पाऊंगा
उन्होंने स्वरचित भोजपुरी गीतों को गाकर लोगों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में युवा शायर समीर परिमल ने सुनाया – ‘अपनी फितरत बदल न पाऊंगा, तेरे सांचे में ढल न पाऊंगा, मैं मुहब्बत का इक परिंदा हूं, मैं सियासत में चल न पाऊंगा।’


