समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बागमती नदी के कटाव से करीब पिछले 23 साल में 400 परिवार के घर नदी में समा चुके हैं। अब तक प्रशासनिक स्तर से कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। इसके कारण लोग अपने जीवन सड़क किनारे गुजारने को मजबूर हैं। लोग बताते हैं कि वर्षों से बागमती नदी का कटाव जारी है हर वर्ष कटाव के कारण गांव के करीब 20 से 30 घर कटकर नदी में विलीन हो जाता है। परंतु प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति करते रहते हैं और ध्यान नहीं देते हैं।
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बता दें कि सरकार द्वारा विस्थापित परिवारों को रैन बसेरा के लिए भूमि अधिग्रहण के तहत भूमि मुहैया कराना है। परंतु विस्थापित परिवार का बताना है कि जितने भी लोगों का घर बागमती नदी के कटाव से कट चुके हैं। उन लोगों को आज तक किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। इसके कारण लोग किसी तरह सड़क किनारे अपना अपना घर बना कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस संबंध में मुखिया रामविनोद ठाकुर ने बताया कि बागमती नदी के कटाव से 1999 से लेकर अबतक करीब 400 लोगों का घर कट और करीब 500 एकड़ भूमि नदी में कट कर विलीन हो चुका है।

कटाव में देबू राम, भोगी राम, अच्छे लाल राम, अशोक पासवान, बिंदेश्वर सहनी, गणेशी सहनी, मुंशी लाल सहानी, बिलट सहनी, सीता राम राय, महेस्वर सहनी, रामचंद्र सहनी, प्रेम लाल साह, रघु सहनी, योगी सहनी, वासुदेव सहनी, शिव शंकर सहनी सहित सैकड़ों लोगों का घर कटाव के कारण कट गया, हालांकि कटाव हर वर्ष होता है और दर्जनों लोगों का घर कट जाता है।

हालांकि, कटाव पीड़ित परिवार का लिस्ट भी अधिकारियों को दी जाती है। परंतु कोई सुनवाई नहीं हो पाता है। इसके कारण लोग इधर-उधर सड़क किनारे अपनी झोपड़ी बनाकर रात गुजारने को मजबूर है। इस मामले में अंचलाधिकारी कमलेश कुमार ने बताया कि घर कटाव की जानकारी हमें नहीं है, वैसे कटाव के कारण जो भूमिहीन हो गए हैं उन विस्थापित परिवार का सर्वे कर इसकी रिपोर्ट वरीय अधिकारी को सौंपी जाएगी, और वरीय अधिकारी के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।



