दरभंगा में अतरवेल-जाले पथ में राढ़ी मध्य विद्यालय के समीप स्थित यात्री शेड में एक वृद्ध अपना जीवन जैसे-तैसे गुजारने को विवश है। लगभग 40 वर्षों से इस इलाके में वृद्ध अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। वृद्ध मूकबधिर है इसलिए वृद्ध का नाम कोई नहीं जानता है। ग्रामीण वृद्ध को बउका कहकर संबोधित किया करते हैं। राढ़ी पश्चिमी के पंचायत समिति सदस्य अनिल भंडारी ने बताया कि लगभग 50 वर्ष पूर्व वृद्ध दोघरा खादी भंडार के प्रबंधक रामाधार सिंह के यहां रहता था।

प्रबंधक के अवकाश ग्रहण करने बाद वह लगभग 25 वर्ष पहले राढ़ी के ईट-भठ्ठा में मजदूरी करने लगा। कुछ वर्ष के बाद राढी गाव के देवेन्द्र प्रसाद के यहा रहने लगा। देवेन्द्र प्रताप को पुत्र नहीं था उनकी मौत के बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया। उसका शरीर कमजोर होने लगा। दोनों आंखों से कम दिखने लगा। निसहाय होने के कारण वृद्ध अपने परिचितों से भीख मांगकर खाने लगा। लगभग दो वर्ष पूर्व राढ़ी मध्य विद्यालय चौक पर बने यात्रीशेड ही उसका आश्रय बन चुका है।

चलने और बोलने में असमर्थ वृद्ध को कभी स्कूल का एमडीएम तो कभी दुकानदारों से मिलता है भोजनकम दिखने की वजह से लगभग एक वर्ष से वृद्ध यात्रीशेड में ही बैठा रहता है। आसपास के दुकानदार यदाकदा उसे खाने के लिए उसके पास आकर कुछ दे जाते हैं। उससे वह अपनी भूख मिटता है। जब दुकानदारों का दुकान नहीं खुलता है तब उसे ग्रामीण विजय कुमार झा, मुन्ना ठाकुर उसे खाना देते हैं। कभी उसे भूखा भी रहना पड़ता है।

मुखिया, बीडीओ, एसडीओ को दी जानकारी पर नहीं हुई पहल
ग्रामीणों ने इसकी सूचना पंचायत के मुखिया सहित बीडीओ दीनबंधु दिवाकर को दिया। बीडीओ ने तत्काल इसकी सूचना एसडीओ सदर को दिया। एसडीओ सदर ने वृद्ध आश्रम पटना के अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह के नाम से एक पत्र दिया।ग्रामीण शिवभक्त झा जब वृद्धा आश्रम पटना के अधीक्षक मिले तो उन्होंने बताया कि उनके यहां जगह नहीं है।

शिव भक्ति रा का कहना है कि भागलपुर में भी एक वृद्ध आश्रम है। वहां पहुंचाने के लिए ग्रामीणों की ओर से आपस में चंदा संग्रहण करने का चर्चा चल रहा है। पर वहां जाने के बाद भी यदि जगह नहीं दी गई तो क्या फायदा होगा इसी वजह से इस विचार को भी अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।


