अंग क्षेत्र की प्रसिद्ध बिहुला विषहरी पूजा की शुरुआत आज से हो चुकी है। इसको लेकर भागलपुर जिले के मंदिरों में तैयारी चल रही है। जिले में कुल 119 जगहों पर बिहुला विषहरी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। जिसमें केवल शहर भर में ही 90 प्रतिमा स्थापित की जायगी। मंगलवार की देर रात सिंह नक्षत्र के प्रवेश के साथ लगभग स्थानों पर प्रतिमा स्थापित कर दी जाएगी।

ये पूजा अंग क्षेत्र में बहुत ही विशेष रूप से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस पूजा में मांगी गई मन्नतें पूरी होती है। यहां के लोग विषहरी पूजा लोक आस्था के रूप में मनाते है। जिले भर में 53 स्थानों पर भगत पूजा होता है और भगत पूजा मन्नत पूरा होने के बाद ही लोग करवाते है।

विषहरी पूजा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप कुमार कहते है कि इस पूजा का भागलपुर में बहुत महत्व। क्योंकि बिहुला ही एक ऐसी सती है जिसने अपने मृत पति ही नही बल्कि भैसुर को भी स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर लाकर सुहागिन होने का गौरव प्राप्त किया था। उन्होंने बताया कि इस पूजा की शुरुआत 17 अगस्त की शाम 7 बजे से बाला लखेंद्र की बरात के साथ होगी। बारात धूमधाम से सभी स्थानों से निकली जाएगी। उसी दिन रात्रि में बाला लखेंद्र बिहुला की शादी की रश्म किए जाएंगे। इसके अगले सुबह सर्पदंश का आयोजन किया जाएगा। उसके 18 अगस्त को सभी प्रतिमा पर डालियां चढ़ाई जाएगी। इसे कुंवारी डालियां भी कहते हैं।

1886 से की जा रही विषहरी पूजा
प्रदीप कुमार ने बताया कि ये पूजा आजादी से पहले 1886 ई. से ही मनाई जा रही है। भागलपुर में मुख्य रूप से ये पूजा चंपानगर,नाथनगर,खंजरपुर,उर्दू बाजार,भीखनपुर,आदमपुर के इलाको में मनाई जाती जाती है। ये पूजा सबसे ज्यादा बंगाली समाज के लोग अपने बंगाली विद्या द्वारा करते है।

भगत के भस्म से ठीक होता है कुष्ट रोग
साथ ही उन्होंने बताया कि इस पूजा से बीमार लोगो को भी खूब लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान आशीर्वाद के रूप में जो भगत भस्म देते है। उससे कुष्ठ रोग जैसी बीमारियां भी ठीक हो जाती है। साथ ही उन्होंने बताया कि पूजा को लेकर नगर निगम ने कोई ठोस व्यवस्था नहीं की है। निगम ने अभी तक तालाबों की सफाई नही की है। उन्होंने बताया कि निगम के द्वारा विसर्जन यात्रा में आने वाले सड़कों को दुरुस्त करने की बात हुई थी। लेकिन अभी तक नही हुई है।


