मुंगेर में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। अभी जिले में गंगा का जलस्तर 37.79 मीटर पर स्थिर है। साथ ही जिला के 56 किलोमीटर लंबे गंगा तट के दियारा क्षेत्र के निचले इलाके में पानी का फैलाव तेजी से होते जा रहा है। इस कारण आज गंगा का पानी 52 शक्तिपीठों में से एक जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर अवस्थित चंडिका स्थान में बुधवार की देर रात से प्रवेश कर गया है। जबकि अभी भी गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।
चंडिका स्थान में पूजा करने आए श्रद्धालुओं को भी पानी में प्रवेश कर ही माता के गर्भगृह तक पूजा अर्चना करने के लिए जाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं यहां के पुजारी को भी सुबह की सरकारी पूजा और संध्या श्रृंगार पूजा करने को लेकर अब पानी में प्रवेश कर ही माता चंडिका के पूजा अर्चना करने के लिए जाएंगे।
चंडिका स्थान के प्रधान पुजारी नंदन बाबा एवं सरकारी पंडा पवन बाबा ने बताया कि बुधवार की देर रात्रि से ही चंडिका स्थान में गंगा के पानी का प्रवेश निरंतर जारी है। जो धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है ।
साथ ही उन्होंने ने बाताया कि अगर पानी चार से पांच फीट हों जाय तो सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूजा मंदिर के बाहर की जाएगी। नंदन बाबा ने बताया कि एक पैराणिक कथा के अनुसार मां गंगा की छोटी बहन मां सती है। प्रत्येक साल मां गंगा माता चंडिका स्थान में आकर चंडिका स्थान के गर्भगृह जहां मां का नेत्र स्थापित है, वहां तक आकर नेत्र को स्पर्श करती है।
इसके बाद वह वापस लौट जाती है। इसके बाद मुंगेर में गंगा का जल स्तर भी घटने लगता है। वहीं उन्होंने माता चंडिका के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि यहां मुंगेर में माता सती का बायां नेत्र गिरा था इस कारण यहां नेत्र की पूजा होती है।
इसके अलावा यहां राजा कर्ण जब खौलते हुए तेल की कढ़ाई में कूदकर अग्नि परीक्षा देते थे। इसके बाद माता चंडिका से मिले सौ मन सोने को कर्ण चौरा में ले जाकर रोजाना गरीबों में बांटते थे। आज वही कढ़ाई जो पलटा हुआ है वह माता गर्भगृह बन गया है।
