औरंगाबाद में आजादी के 75 सालों बाद भी इस गांव की तस्वीर नहीं बदली है। आज भी लोग चचरी के पूल के सहारे आवागमन कर रहे है। स्थिति इतनी चिंताजनक है कि ग्रामीण जिला मुख्यालय जाने को मजबूर है। इस चचरी के पुलिया का निर्माण सरकार या कोई जनप्रतिनिधि की ओर से नहीं की गई है बल्कि गांव के ग्रामीण गांव में चंदा इकट्ठा कर चचरी पुलिया का निर्माण कराया है।

दरअसल यह जर्जर पुलिया की स्थिति देव प्रखंड के महावीर बिगहा के कुंडा गांव की है। इस गांव से सटे दर्जनों गांव के ग्रामीण चचरी फूल के सहारे जान जोखिम में डालकर जिला मुख्यालय जाने को मजबूर है। हैरत की बात तो तब होती है जब इस गांव के ग्रामीण बीमार पड़ते हैं तो मरीज को खाट पर टांग कर अपनी जान जोखिम में डालकर पुलिया पार करना पड़ता है।

इस गांव के नौनिहाल बच्चे भी अपनी भविष्य संवारने के लिए जान जोखिम में डालकर विद्यालय जाने को मजबूर हैं। हालांकि इसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सांसद तक के पुलिया बनाने की गुहार लगाई है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।







