गरीबों की बस्ती से निकल रहे होनहार:अब डॉक्टर बनने का सपना हाेगा पूरा

नीट 2022 के परीक्षा परिणाम ने ऐसे कई गरीबों के घर उम्मीद की रोशनी बिखेरी है, जहां दो जून की राेटी काफी मुश्किल से मिलती थी। दिहाड़ी मजदूर, भूमिहीन किसान और बुनकर से लेकर कई ऐसे गरीब परिवारों के बच्चों ने सफलता का परचम लहराया है। ऐसे होनहारों को बधाई देने वालाें का तांता लगा है। विपरीत आर्थिक परिस्थितियों में सफलता का परचम लहराने वाले ऐसे बच्चों को ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने भी बधाई दी है।

गरीब परिवार में छूट जाती है पढ़ाई

गरीब परिवार के होनहार बच्चे भी पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़ देते हैं। वह कम उम्र में ही परिवार का खर्च चलाने के लिए मेहनत मजदूरी में लग जाते हैं। ऐसे होनहार बच्चों के लिए संस्थाएं काम करती हैं, टैलेंट सर्च कर उनका सपना पूरा कराने का प्रयास किया जाता है। ऐसे ही जिंदगी फाउंडेशन भी काम कर रहा है, वह बच्चाें की तैयारी कराकर गरीबों की बस्ती में नया सवेरा ला रहा है।

ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने जिंदगी फाउंडेशन के सफल छात्रों से मुलाकात कर उन्हें बधाई दी है। नीट 2022 में सफलता हासिल करने वाले काफी गरीब परिवारों से आने वाले इन छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की है। वित्तीय और सामाजिक बाधाओं को पार करने वाले छात्रों से समाज को काफी उम्मीद है। राज्यपाल ने ऐसे होनहार छात्रों के लिए हर संभव मदद करने का भी आश्वसन दिया है।

डॉक्टर बनने की राह हुई आसान

काफी गरीब परिवार से आने वाले छात्रों के डॉक्टर बनने की राह आसान हुई है। जिंदगी फाउंडेशन के 21 में से 20 छात्रों ने नीट 2022 में क्वालीफाई किया है। 2017-18 से शुरू होकर अब तक जिंदगी फाउंडेशन के 90 छात्रों ने नीट के लिए क्वालीफाई किया है। ये सभी छात्र समाज के सबसे गरीब और सबसे पिछड़े तबके से आते हैं, जिनके परिवार मुश्किल से गुजारा कर पाते हैं। जिंदगी फाउंडेशन इन बच्चों को नीट की कोचिंग, स्टडी मटेरियल, रहने-खाने और अन्य सभी सुविधाएं बिल्कुल मुफ्त देता है।

अब देश के कई राज्यों में होगा काम

जिंदगी फाउंडेशन बिहार से लेकर अन्य राज्यों में होनहार बच्चों को सर्च कर उनके सपनों को पूरा करने के लिए काम करने की पूरी तैयारी में है। 2021-22 में अपनी सफलता के 5 साल पूरे होने पर, जिंदगी फाउंडेशन पूरे देश में ऐसे ही काम करने का निर्णय लिया है। इससे देश के विभिन्न राज्यों में गरीबों के बच्चे भी डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर पाएंगे। मजदूर के परिवार से जिस तरह से अमृता साहू, जगन्नाथ, मलय कुमार की तरह नीट में सफल हो पाएंगे।

जिंदगी फाउंडेशन की कल्पना करने वाले शिक्षाविद् अजय बहादुर सिंह ने बताया कि वह खुद डॉक्टर बनना चाहते थे और मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कर रहे थे । लेकिन पिता की बीमारी के कारण अजय को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और वह अपने पिता के इलाज के लिए चाय और शरबत बेचकर पैसे कमाने लगे। अपनी मेहनत और लगन से जब अजय सर एक शिक्षाविद् के रूप में जीवन में सफल हुए तो उन्होंने मेधावी और गरीब बच्चों को अपने जैसा डॉक्टर बनाने का संकल्प लिया और जिंदगी फाउंडेशन की स्थापना की।

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