बिहार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्र इलाके में पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय सा’इबर ठ’गी मामले की जांच में बिहार पुलिस इंटरपोल की मदद लेगी। पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने प्रेस वार्ता में बताया कि अमेरिकी लोगों से सा’इबर ठ’गी मामले में तीन लोगों को गि’रफ्तार किया गया है। पुलिस की पूछताछ में इनके ठ’गी के तरीके की जानकारी मिली है।
ये शा’तिर विभिन्न एप्लीकेशन या वेबसाइट जैसे रिंग सेंटर, स्काइप, टेक्स्ट नाउ जैसे साफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे। जब कोई अमेरिकी पो’र्न या इस तरह के अन्य वेबसाइट अपने कंप्यूटर पर खोलता तो उसके सिस्टम में मालवेयर- रैनसमवेयर को डाउनलोड करवा दिया जाता था। इससे कंप्यूटर धीमा हो जाता था।
इसके अलावा एनीडेस्क एप्लीकेशन डाउनलोड करा कई विदेशियों के कंप्यूटर का कंट्रोल भी अपने हाथ में ले लेते थे। इसके बाद इंटरनेट कालिंग नंबर को वेबसाइट पर पुश किया जाता था। जब विदेशी इन नंबरों पर काल करते तो गलत नाम से उनसे बात कर कंप्यूटर ठीक करने के नाम पर ठगी की जाती थी।
एडीजी के अनुसार, गि’रोह का सरगना पिंटू सिंह है, जिसके द्वारा यह काल सेंटर चलवाया जा रहा था। इस मामले में तीन लोगों को गि’रफ्तार किया गया है, जो पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। छा’पेमारी में सरगना के घर से सीपीयू, पेन ड्राइव, कार्ड रीडर आदि साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें जब्त कर जांच के लिए तत्काल आर्थिक अ’पराध इकाई (ईओयू) को भेजा गया है। इंटरपोल की मदद लेने के लिए कोर्ट आदि से जुड़ा पेपर वर्क भी किया जा रहा है।
एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि अपराध नियंत्रण व विधि-व्यवस्था के लिए राज्य के व्यापारिक प्रतिष्ठानों के कैमरे पुलिस की आंख का काम करेंगे। इसके लिए चैंबर आफ कामर्स की मदद ली जा रही है।इस मुद्दे पर डीजीपी और चैंबर आफ कामर्स के पदाधिकारियों की बैठक हुई है।
इसमें तय हुआ है कि दुकानदार दुकान के बाहर भी ऐसे कैमरे लगाएंगे जिनसे आसपास नजर रखी जा सके। निर्भया फंड सहित अन्य मद से भी पुलिस नए कैमरे लगाएगी ताकि घ’टना के बाद अ’पराधियों के मूवमेंट का सही पता चल सके।


