गोपालगंज. शहर को जगमग करने के लिए 7000 स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी थीं और यह ठेका पांच साल पहले दिया गया था. पांच साल बाद आलम यह है कि शहर लगभग वैसा ही है. एक वजह तो यह है कि ठेका लेने वाली कंपनी ने बमुश्किल 1300 लाइटें ही लगाई हैं और दूसरी ये कि इनमें से ज़्यादातर ऐसी क्वालिटी की थीं कि खराब ही हैं.

एक तरफ गलियों में अंधेरा पसरे रहने से चोरी और लूटपाट की घटनाएं बढ़ रही हैं, तो दूसरी ओर नगर परिषद के अधिकारी पूरे मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं. ठेका लेने वाली कंपनी के सिर ठीकरा फोड़कर बच रहे इन अधिकारियों को यह तक नहीं पता है कि ठेका कितने में दिया गया और बमुश्किल 20 फीसदी काम के लिए कितना पेमेंट कंपनी को किया जा चुका है.

लगभग 7 हज़ार स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना के तहत लगीं 20 फीसदी से भी कम लाइटें घटिया क्वालिटी और मेंटेनेंस के अभाव में खराब होती गईं. नगर परिषद कह रही है कि लाइटों के मेंटेनेंस का काम भी एजेंसी को दिया गया था. कुल मिलाकर परेशान लोगों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शहर के पुरानी चौक वार्ड-16 निवासी प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने बताया ‘मेरे मुहल्ले में 12 लाइटें लगीं, लेकिन अब एक भी नहीं जलती. पहले भी जितनी बार लाइट में खराबी आई, हर बार हम लोगों ने अपने पैसे से ही ठीक करवाई.’

कैसे पल्ला झाड़ रहे हैं ज़िम्मेदार?
लोगों का साफ कहना है कि वार्ड पार्षद से भी लोगों ने बोला, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. यही हाल पूरे शहर का है. लाइटें तो कई खंभों पर लगाई गई हैं, लेकिन जलती शायद ही कोई है. इस पूरे मामले परिषद का रवैया क्या है? गोपालगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संदीप कुमार कहते हैं ‘एग्रीमेंट के तहत कंपनी डबल ईएसएल को मेंटेनेंस भी करना है इसलिए हम लोग इसमें नगर निधि का पैसा नहीं खर्च कर रहे हैं.’

दूसरे ग्रामीण से पूछे जाने पर उन्होंने बताया 2017 में डबल ईएसएल के साथ बिहार सरकार ने एग्रीमेंट किया था. अब तक लगभग 1300 स्टीट लाइटें लगाई गई हैं. प्रधान सचिव ने योजना की समीक्षा कर डबल ईएसएल को सख्त निर्देश दिए हैं कि काम पूरा कराए. उन्होंने कहा, ‘हम डबल ईएसएल और विभाग से भी बात कर रहे हैं. जहां तक उमीद है कि दशहरा तक लाइट लगाने का काम शुरू होगा जबकि सर्वे की गई 700 लाइटें दीवाली व छठ तक लग जाएंगी.’ ये कैसे होगा? कंपनी को कितना भुगतान हो चुका है? इन सवालों का जवाब कुमार के पास नहीं है. वह कहते हैं सीधे राज्य से ठेका मिला है, उन्हें कुछ नहीं पता.




