नेपाली नागरिकों ने बिहार से लगे भारतीय नाले का पानी रोका, 9वें दिन भी नहीं सुलझा वि’वाद

बेतिया. भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा अक्सर विवाद की वजह भी बन जाती है. ताजा मामला नरकटियागंज अनुमंडल स्थित भारत नेपाल सीमा के भिखनाठोरी का है. यहां नेपाल के लोगों द्वारा नाला बंद किए जाने के बाद भारतीय क्षेत्र में बन रहे नाला का निर्माण कार्य पण्डई नदी में पानी आ जाने के कारण बाधित हो गया है. बताया जा रहा है कि इस कारण भारत के आधा दर्जन से अधिक गांवों में पानी की समस्या गहरी हो गयी है.

दरअसल, नेपाल से होकर नाला भारतीय सीमा में प्रवेश करता है. इससे सीमावर्ती क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को पटवन और अन्य जरूरतों के लिए पानी मिलता है. लेकिन, पिछले 15 साल से बार-बार नेपालियों द्वारा नाला बंद कर दिया जाता है. इस बार विवाद के दस दिन बीत जाने के बाद नालों को पानी नहीं मिला है, जिससे परेशानी बढ़ गई है.

नेपाली लोगों ने कहा है कि पण्डई नदी की धारा को मोड़कर भारतीय क्षेत्र से ही नाला बना ले, जो बेहद कठिन काम है. हालांकि, इस इलाके के किसान और ग्रामीण मिलकर नाला बनाने का काम कर रहे हैं. लेकिन, मंगलवार फिर से अचानक नदी में पानी आ जाने के कारण काम रुक गया और लोग वापस आ गए. इस कारण विवाद के नवें दिन भी भारतीय क्षेत्र के नाले का पानी चालू नहीं हुआ.

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नेपाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि नेपाल से भारत मे पानी सदियों से आता रहा है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से नेपाल की तरफ से नाला को लेकर विवाद खड़ा कर दिया जाता है. यही नहीं, नो मेंस लैंड पर पिलर की जगह को भी नेपालियों द्वारा बदल दिया गया है. नेपाल की इस हरकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश है. लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर कोई हल नहीं निकला तो पण्डई नदी पर बने पुल से नेपालियों का भारत मे प्रवेश रोक दिया जाएगा.

बता दें कि नेपाली नागरिकों द्वारा बंद पड़े नेपाली नाले को जेसीबी से चालू कर दिया गया जिससे नेपाल के रामनगर, बुधनगर व ब्रह्मनगर में खेतों का पटवन शुरू हो गया. लेकिन, भारतीय नाले को नहीं बांधे जाने के कारण विवाद के नवें दिन भी भारतीय नाले को पानी नहीं मिला. 29 अगस्त से नाले का पानी नेपाली नागरिकों द्वारा बंद कर दिया गया है. भारतीय किसानों का मानना है कि नेपाली नागरिक पुल के दक्षिण से पंडई नदी के धारा को मोड़कर नाले में पानी देने पर अड़े हुए हैं, जो कठिन कार्य है. फिर भी भारतीय किसानों द्वारा नेपाली नागरिकों के सुझाव को मानते हुए नदी के धारा को मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

 

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