सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय से शुरू होगा महापर्व छठ, अर्घ्य के दिन भी बन रह खास संयोग

लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 28 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार को नहाय-खाय से आरंभ होगा। वहीं शनिवार 29 अक्टूबर को लोहंडा (खरना) के दिन छठ व्रती पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। वहीं 30 अक्टूबर रविवार की शाम व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। सोमवार 31 अक्टूबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठी माता प्रसन्न होकर परिवार में सुख, शांति, धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्यदेव की पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

Chhath Puja 2022 Why do we worship Sun God in Chhath Puja know when it will  be bath and eat - Chhath Puja 2022: छठ पूजा में क्यों करते हैं सूर्य देवसर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय खाय 

लोकआस्था के महापर्व कार्तिक छठ का अनुष्ठान नहाय-खाय से शुक्रवार से आरंभ होगा। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्थी छठ व्रती अनुराधा नक्षत्र सौभाग्य व शोभन योग के युग्म संयोग में नहाय-खाय का व्रत करेंगी। छठ व्रती गंगा नदी, जलाशय, पोखर में स्नान करने के बाद भास्कर को जल का अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय अनुष्ठान आरंभ करेंगी। पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल , चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान को आरंभ करेंगी। वहीं शनिवार को व्रती ज्येष्ठा नक्षत्र के पुण्यकारी रवियोग में छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। खरना के प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगी।

सर्वार्थ सिद्धि योग में पहला अर्घ्य  

कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर रविवार को सुकर्मा योग, रवियोग व सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी। वहीं 31 अक्टूबर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को धृति योग के साथ रवियोग में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व अनुष्ठान को संपन्न करेंगी। व्रती का 36 घंटे से चले आ रहे निर्जला उपवास भी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती पारण करेंगी।

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