बिहार : 10 साल में शिशु मृ’त्यु दर घट कर हुई आधी….

पटना:  बिहार में शिशु मृत्यु दर दस सालों में करीब आधी हुई है। संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में राज्यवार शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा दिया गया है। इसके अनुसार बिहार में वर्ष 2010 में शिशु मृत्यु दर 48 थी, जो वर्ष 2020 में घटकर 27 हुई है। यह राष्ट्रीय स्तर की दर 28 से एक कम है। मालूम हो कि प्रति एक हजार जन्मे बच्चों में एक साल की आयु के अंदर होने वाली मौत को शिशु मृत्यु दर तय + किया जाता है।

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बिहार शिशु मृत्यु दर में मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत आठ राज्यों से बेहतर स्थिति में है। इसी 274 प्रकार बिहार में जन्म दर भी वर्ष 2010 में 28.1 से घटकर वर्ष 2020 में 25.5 हो गया है। हालांकि, अब भी यह देश के सभी राज्यों से अधिक है। अर्थात वर्ष 2020 में प्रति एक हजार की आबादी पर साल में बिहार में 25.5 बच्चों का जन्म हुआ है।

यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर के 19.5 से तीन अधिक है। जन्म दर सबसे कम गोवा में 12.1 है। वहीं, सबसे अधिक वहीं, मृत्यु दर की बात करें तो बिहार में यह वर्ष 2010 में 6.8 से घटकर वर्ष 2020 में 5.4 हुआ है। मृत्यु दर का राष्ट्रीय स्तर पर छह है, जिससे बिहार बेहतर स्थिति में है।


सूबे के स्कूलों में लड़कों से अधिक लड़कियां 
बिहार के स्कूलों में छात्रों से अधिक छात्राएं नामांकित हैं। भारत के आर्थिक सर्वेक्षण तथ्य सामने आया है। इसमें एक ओर तो बिहार में नामांकन की दर बढ़ी है, वहीं नामांकन में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है। आंकड़े बताते हैं कि न केवल प्राथमिक विद्यालय में बल्कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में लड़कियां नामांकन में लड़कों से आगे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ग 1 से 8 में बिहार में छात्र-छात्राओं की नामांकित संख्या 96.2 फीसदी है। इसमें छात्रों की संख्या 95.1 फीसदी है जबकि छात्राओं की संख्या 97.4 फीसदी है। इसी तरह वर्ग 9 व 10 वीं में नामांकित छात्र-छात्राओं की कुल संख्या 64.9 फीसदी है। इसमें लड़कों की संख्या 63.1 फीसदी जबकि लड़कियों की संख्या 66.8 फीसदी है।

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