पटना: शिक्षा विभाग ने अपनी छपवायी पुस्तक को बच्चों को नहीं पढ़ाए जाने को कहा है. वर्ग सात की हिंदी पाठ्य पुस्तक के अध्याय पांच में बाबू कुंवर सिंह के दाहिने हाथ में गोली लगने की बात अंकित है. शिक्षा विभाग ने माना कि यह भ्रामक है. विभाग ने कहा है कि बाबू वीर कुंवर सिंह के दाहिने हाथ में गोली नहीं लगी थी, यह गलत है. अतः ऐसी किताब बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं दी जाए.
पुस्तक में गलती की चर्चा
बुधवार को शिक्षा विभाग ने एक सूचना जारी करते हुए स्पष्ट किया कि कुछ जगह से सूचना मिली है कि वर्ग सात की हिंदी पाठ्य पुस्तक के अध्याय पांच में बाबू कुंवर सिंह के दाहिने हाथ में गोली लगने की बात अंकित है. विभाग ने कहा राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद और राष्ट्रीय शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली की पुस्तकों में स्पष्ट रूपसे बाएं हाथ में गोली लगने की बात लिखी गई है. अतएव जनहित में सूचित किया जाता है कि ऐसी नकली पुस्तकों से परहेज़ किया जाय और बच्चों को पढ़ने के लिए ना दिया जाय.
कौन थे कुंवर सिंह
कुंवर सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे. इनके पिता साहबजादा सिंह जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे. अंग्रेजों ने उनकी रियासत छीन ली थी. 23 अप्रैल 1858 को बाबू कुंवर सिंह ने अंग्रेज को पराजित कर जगदीशपुर को पुन स्वतंत्र किया था इसीलिए प्रति वर्ष इस तिथि को ‘विजयोत्सव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि एक बार वो गंगा पार कर रहे थे तभी अंग्रेज सिपाही की गोली बांह में लग गयी. उन्होंने अपनी तलवार से बांह काटकर गंगा में अर्पित कर दिया.
पहले भी विवादों में रही है पुस्तक
बता दें कि इससे पहले भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताब में एक बड़ी गलती सामने आई थी, तब उस किताब में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की तस्वीर उल्टी दिखा दी गई थी. वह किताब सातवीं क्लास के संस्कृत विषय की थी. इस विषय पर भी राज्य में काफी चर्चा हुई थी.

