पिता ने लगाई कपड़ों की फेरी, बेटा गया IIT, फिर बन गया IAS

अररिया : यह कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो बीपीएल परिवार से है. ऐसे परिवारों में रहने-खाने के लिए भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं होती हैं. अनिल बसाक एक बीपीएल परिवार से होने के बावजूद समाज में अपनी खास जगह बना पाने में सक्षम हुए.

IAS ANIL BOSAK SUCCESS STORY: कभी पिता फेरी लगाकर बेचते थे कपड़े, बेटे ने  तय किया आईआईटी से आईएएस तक का सफरकई लोगों को लगता है कि यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए महंगी कोचिंग, नामी लेखकों की किताबों और बेहतर सुख-सुविधाओं की जरूरत होती है. लेकिन हमारे सामने कई ऐसे सफल आईएएस/आईपीएस अफसरों की कहानियां हैं, जिन्होंने बिना किसी स्पेशल सुविधा के अपना रास्ता खुद बनाया. आईएएस अनिल बसाक की मोटिवेशनल स्टोरी आपको भी जरूर प्रेरित करेगी.
पिता के संघर्ष ने रखी नींव
अनिल बसाक का जन्म 2 अगस्त 1995 को बिहार में हुआ था. उन्होंने 8वीं तक किशनगंज के ओरिएंटल पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की, फिर 10वीं अररिया पब्लिक स्कूल से और 12वीं बाल मंदिर से. उनके पिता बिनोद बिसाक ने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की है. वह गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचते थे. उससे पहले वह राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर में एक व्यापारी के यहां हाउस हेल्पर का काम करते थे.
आईआईटी से की पढ़ाई
12वीं बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद अनिल बसाक ने आईआईटी दिल्ली में एडमिशन ले लिया था. आईआईटी में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ ही उनका रुझान सरकारी नौकरी की तरफ हुआ. इसी बीच उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. 2 साल कोचिंग करने के बाद उन्होंने 2018 में यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा दी लेकिन उसमें असफल हो गए.

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading