बगहा. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने एक बार फिर लंबी छलांग लगाई है. बाघों की संख्या में तेजी से आगे बढ़ने वाला टाइगर रिजर्व के रूप में बिहार के इस अभ्यारण को नई पहचान मिली है. नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी यानी एनटीसीए की ओर से जारी आंकड़ा के मुताबिक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 54 तक पहुंच गई है. बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर बिहार के साथ ही पूरे देश को इस अभ्यारण पर गौरव है. बाघों के आंकड़ें की बात करें तो पिछले 4 सालों में यहां करीब 21 बाघ अधिक पाए गए हैं. 54 बाघों के अलावा यहां दर्जन भर शावक भी हैं, जिनको गणना में शामिल नहीं किया गया है.
देश भर में जारी बाघों के आंकड़ा के बीच वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 54 बाघ पाए जाने के बाद ग्रासलैंड मैनेजमेंट और सुरक्षा प्रबंधन की खूब सराहना हो रही है. वाल्मीकिनगर के जंगल को वर्ष 1994 में वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट घोषित किया गया था. अच्छे हैबिटेट के कारण इसे प्रोजेक्ट से टाइगर रिजर्व मैं परिवर्तित कर दिया गया, जिसके बाद लगातार बाघों की संख्या बढ़ती गयी. इस जंगल में बाघों के लिए बेहतर हैबिटेट पाया जा रहा है.

ग्रास लैंड मैनेजमेंट को भी प्रभावी बनाते हुए इसके द्वारा को दायरा को 300 हेक्टेयर से बढ़ाकर उन्नीस सौ हेक्टेयर तक किया गया है, जिसके बाद तेजी से शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी है और मजबूत आहार श्रृंखला के बदौलत बाघों की संख्या में दिनों दिन वृद्धि हो रही है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक डॉक्टर नेशामणि के ने बताया कि कुशल प्रबंधन और मॉनिटरिंग की बदौलत बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. वन संरक्षक के मुताबिक हर किसी को बाघों के संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास करना चाहिए.