बिहार : अथाह नदी के बीचोंबीच पहाड़, मंदिर व हरे-भरे पेड़ देखने की चाहत है तो आइए भागलपुर के कहलगांव में। यहां गंगा की बीच धारा में एक नहीं बल्कि तीन-तीन पहाड़ियां हैं। पहाड़ों पर हरे-भरे पेड़-पौधे बरबस आपको प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास कराएंगे। गंगा नदी का उद्गम भागीरथी व अलकनंदा नदी मिलकर करती है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2,525 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय के गंगोत्री हिमनद के गोमुख स्थान से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक बहती है। इतनी लंबी यात्रा के क्रम में संभवत: देश में कोई ऐसा स्थल नहीं है जहां गंगा के अविरल प्रवाह को पहाड़ रोक सके। लेकिन कहलगांव में एक नहीं तीन पहाड़ी गंगा के अविरल वेग को रोकती है।

राजस्थान से आये शांति बाबा ने यहीं ली थी समाधि
भागलपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर पूरब में बसा है कहलगांव। यहां बीच गंगा में तीन पहाड़ है। कहलगांव होकर बह रही गंगा के बीचोबीच तीन पहाड़ियों में से उत्तर स्थित पहाड़ी को शांति बाबा, बीच की पहाड़ी को बंगाली बाबा और दक्षिण की पहाड़ी को पंजाबी बाबा के नाम से जाना जाता है। तीनों के अलग-अलग महात्म्य हैं। ब्रह्मलीन बाबा शांति के नाम पर पहाड़ी का नामकरण किया गया। बताते हैं, वर्ष 1900 में राजस्थान के झूंझनु से वंशीधर उर्फ शांति बाबा यहां आकर कठोर तपस्या की और यहीं समाधिस्थ हो गए। इनके अनुयायी देश-विदेश में हैं। उनकी पुण्यतिथि पर कनाडा, नेपाल, सिंगापुर से भी लोग यहां आते हैं। यहां राधाकृष्ण की पूजा होती है।
स्थापित पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के दर्शन को पंजाबी पहाड़ी पर आते श्रद्धालु
पंजाबी पहाड़ी के बारे में मान्यता है कि यहां पवित्र गुरुग्रंथ साहिब स्थापित है। इसे नानकशाही भी कहते हैं। यहां सालों भर सिख समुदाय के अनुयायी दर्शन करने आते हैं। इस पहाड़ को विक्रमशिला पुरातत्व स्थल से जोड़ा गया है। पहाड़ी पर बौद्ध भिक्षुओं ने अपनी भाषा में तस्वीर व शब्द उकेरा है। इस पहाड़ी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित भी किया है। यहां मां भगवती की प्रतिमा के दर्शन करने भी श्रद्धालु आते हैं। बंगाली बाबा पहाड़ी पर संतमत धर्मावलंबियों रहते हैं। यहां गुरु की पूजा होती है। इसी विचारधारा के लोग यहां आते हैं और सर्वधर्म समभाव के लिए विमर्श करते हैं।
आईडब्ल्यूएआई ने क्रूज के यहां ठहराव का सुझाया है विकल्प
यहां नदी में साल भर पानी होने की वजह पर्यटकों की संख्या कम होती है। जिन्हें यहां की जानकारी है, वे नाव से आते हैं। नौका से गंगा में सफर करने से कुछ लोग डरते भी हैं। नाविक भी पर्यटकों से अधिक पैसे की मांग करते हैं। जिससे सैलानियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। अब गंगा को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया गया है और क्रूज का मार्ग बनाया गया है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने भी इसे टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने की प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है। क्योंकि प्रयागराज (यूपी) से हुगली (प.बंगाल) के बीच संभावित क्रूज सेवा में कहलगांव को हॉल्ट बनाया गया है। यहां आरओआरओ जेट्टी टर्मिनल बनाने के लिए तैयारी हो रही है।
टूरिज्म स्टीमर सेवा शुरू होने से बढेगी सैलानियों की संख्या
इस बाबत डीएम सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि राज्य सरकार के पर्यटकीय विकास योजना के लिए तीन पहाड़ी का नाम सुझाया गया है। पर्यटन विभाग से प्रस्ताव पर सहमति मिलने पर यहां सरकारी स्तर पर नाव, बोट की व्यवस्था होगी। ताकि यहां डॉल्फिन का दीदार सैलानी कर सकें। भागलपुर-कहलगांव के बीच टूरिज्म स्टीमर सेवा भी शुरू होने वाली है। ऐसे में सैलानियों की संख्या तीन पहाड़ को देखने के लिए बढ़ेगी। उन्होंने रोपवे के प्रस्ताव पर कहा कि सुरक्षा के मानक पर यह ठीक नहीं है। फिर भी विभाग के संज्ञान में इसे लाया जाएगा।