बिहार का इकलौता सूर्य मंदिर जिसका पूरब में नहीं बल्कि पश्चिम की तरफ है दरवाजा

औरंगाबाद : बिहार का औरंगाबाद जिला हिंदू धर्म के लिए बेहद खास है। राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक भगवान सूर्य का मंदिर यहां स्थित है। कोणार्क मंदिर के तर्ज पर इसे देवार्क कहा जाता है। छठ पूजा के दौरान यहां वर्ती महिलाओं की भीड़ देखने को मिलती है। दूर-दूर से लोग यहां भगवान सूर्य के दर्शन करने आते हैं। मंदिर की विशेषता ये है कि यहां भगवान सूर्य के तीन स्वरूप उदयांचल, मध्यांचल और अस्तांचल पूजा होती है।

देव सूर्य मंदिर - विकिपीडियापौराणिक कथाओं की मानें तो औरंगाबाद के इस सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने रातों-रात इसे बनाया था। इतिहासकारों  के मुताबित इसे राजा भेरेंद्र सिंह ने बनवाया था। ये एक इकलौता ऐसा सूर्य मंदिर है जिसके दरवाजे पूरब की बजाय पश्चिम दिशा में खुलते हैं। वहीं मंदिर के बाहर सरोवर हैं जिसमें महिलाएं छठ पूजा करती हैं। मंदिर की वास्तुकला का की बात की जाए तो इसका निर्माण आयाताकार, अर्द्धवृताकार और गोलाकार पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है। यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। एक कथा के मुताबिक त्रेतायुग में इला के बेटे ऐल जब यहां स्थित सरोवर के पानी से शरीर साफ कर रहे थे तो उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया था।

औरंगाबाद के अन्य टूरिस्ट स्पॉट

औरंगाबाद में सूर्य मंदिर के अलावा आप अमझर शरीफ दरगाह, दाऊद का किला, उमगा मंदिर जा सकते हैं।

कैसे पहुंचे

पटना से इस शहर में 140 किलोमीटर दूर स्थित है। औरंगाबाद में सड़क और रेल कनेक्टविटी से अच्छी तरह जुड़ा है। बड़े शहरों से सीधे बस या ट्रेन से मिल जाएगी।

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