मुजफ्फरपुर : बुढ़ापे में पेंशन ही सबसे बड़ा सहारा होता है, लेकिन बिहार के सरकारी स्कूलों के 80 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों को पेंशन का टेंशन है। नौकरी के दौरान पाई-पाई बचाकर पेंशन के लिए कटवाने के बावजूद इन्हें समय पर यह सहारा नसीब होने को लेकर संदेह है। दरअसल, यूटीआई पेंशन स्कीम से जुड़े इन शिक्षकों के खाते में सरकार का अंशदान नहीं जुड़ रहा है। पिछले तीन साल में रिटायर सैकड़ों नियोजित शिक्षकों को भी यूटीआई पेंशन नहीं मिली है। ऐसे में ये शिक्षक यूटीआई और शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं। मुजफ्फरपुर जिले में 10 हजार से अधिक शिक्षक हैं, जो इस तनाव में जी रहे हैं।
खाते में नहीं जुड़ी अंशदान की राशि
मुजफ्फरपुर के शिक्षक रामानंद, अनिल, सुनीता, नीलम बताते हैं कि यूटीआई पेंशन स्कीम से जुड़े शिक्षक वर्षों से पैसा तो कटवा रहे हैं, लेकिन खाते में सरकार के अंशदान की राशि नहीं जुड़ी है। हर महीने वेतन से इस योजना में पैसा कटवाने के बावजूद पेंशन मिलने की उम्मीद खत्म हो रही है। दरअसल, नियोजित शिक्षकों के लिए यूटीआई पेंशन स्कीम 2013 में शुरू की गई। इसमें कहा गया था कि नियोजित शिक्षकों को पेंशन का लाभ मिले, इसके लिए सरकार हर महीने अंशदान देगी।
सरकार को देना था अंशदान
योजना के तहत सरकार को 200 रुपये प्रतिमाह हर शिक्षक के लिए अंशदान देना था। शिक्षक 500 या उससे अधिक राशि इच्छानुसार कटवा सकते हैं। ज्यादातर शिक्षक दो से पांच हजार रुपये यूटीआई में जमा कर रहे हैं। इस योजना के तहत सरकार को वर्ष 2020 तक की राशि देनी है। वेतनमान लागू होने के बाद सरकार अंशदान नहीं देगी, लेकिन शिक्षक राशि जमा कर सकते हैं। शिक्षक इसके तहत राशि जमा कर रहे हैं, लेकिन दस साल से राशि कटवाने के बाद भी शिक्षक खाली हाथ हैं।
पूरी राशि किसी जिले को नहीं मिली
यूटीआई के डिस्ट्रिक्ट एसोसिएट दीनदयाल अग्रवाल बताते हैं कि जिले में बस एक साल वर्ष 2014 में अंशदान की राशि आयी। कई जिलों में दो तो कई में तीन साल की राशि मिली। पूरी राशि किसी जिले को नहीं मिली है। इस साल सरकार की ओर से 28 मार्च को अंशदान की राशि आवंटित की गई थी। डीईओ अजय कुमार सिंह कहते हैं कि राशि निकासी की प्रक्रिया दो दिन में नहीं हो सकी। यूटीआई भी शिक्षकों के कागजात अपडेट नहीं कर पाया। ऐसे में वित्तीय वर्ष खत्म होने के कारण राशि सरेंडर करनी पड़ी।