बिहार: घर के वास्तु दोष से लेकर ग्रहों की क्रूर दृष्टि से बचने और सुखी-समृ़द्ध होने के चक्कर में इन दिनों कछुआ पालने का शौक चरम पर है। लोगों के इस शौक को भुनाने के लिए कछुआ बिक्री के लिए बाजार न केवल बीते तीन साल में तगड़ी तैयारी कर चुका है, बल्कि बड़ी संख्या में एक्वेरियम शॉप में कछुआ की बिक्री का चलन जोर पकड़ चुका है। ग्रहों को शांत करने के चक्कर में लोग जाने-अनजाने में कछुआ पालन के नाम पर लोग वन्य जीव कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लेकिन अब इसको खत्म करने की तैयारी वन विभाग ने शुरू कर दी है।
धन-समृद्धि की चाह में कछुआ पाल रहे लोग
मान्यताओं पर विश्वास करें तो घर में कछुआ रखने से धन-समृ़द्धि की वृद्धि होती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कछुआ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यही कारण है कि कई मंदिरों में कछुआ व इससे जुड़ा प्रतीक मिलता है। पर्यावरणविद् अरविंद कुमार मिश्र कहते हैं कि धन-समृद्धि की चाह में लोगों में कछुआ पालन का चलन हाल के दिनों में ज्यादा बढ़ा है। लोग नहीं जानते कि वे इस चक्कर में अपने लिए एक नई मुसीबत पाल रहे हैं। साथ ही शहर में लोग कछुआ का कारोबार करके वन्य जीव अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अगर लोगों को कछुआ पालने की चाह है तो घर में धातु का कछुआ भी रख सकते हैं। प्रतिबंधित कछुआ का कारोबार करना व घर में रखना दोनों ही दंडनीय अपराध है।

वन विभाग करेगा छापेमारी, कानूनी कार्रवाई भी होगी
वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार गुप्ता कहते हैं कि इंडिजनस कछुआ की बिक्री से लेकर घर में पालन करने पर प्रतिबंध है। ऐसा करना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अपराध है। ऐेसा करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए कछुआ को जब्त किया जाता है। साथ ही दोषी को सात साल तक की सजा देने का प्रावधान इस अधिनियम के तहत निर्धारित है। यहीं कारण है कि बीते 21 जुलाई को पटना में वन विभाग की टीम ने छापेमारी करते हुए 40 कछुए की बरामदगी की थी। इन्हें 31 जुलाई को भागलपुर में बने कछुआ पुनर्वास केंद्र पर भेज दिया गया था। 14 दिन की क्वारंटाइन के बाद 12 अगस्त को 31 कछुओं को जमुई के नागी बर्ड सेंचुरी में छोड़ा गया था। जबकि एक की मौत के बाद आठ अन्य कछुआ को सुंदरवन स्थित कछुआ पुनर्वास केंद्र पर रखा गया है। इन्हें भी जल्द ही छोड़ दिया जाएगा।