एशियन गेम्स में भारत के लिए खेलेगी नालंदा की ‘बेटी’! वूमेन रग्बी में है अंतरराष्ट्रीय चेहरा

नालंदा: बिहार के नालंदा की बेटी श्वेता शाही भारत का परचम लहराने के लिए आगामी 20 सितंबर को चीन जाएगी. चीन के हांगझोऊ प्रांत में 23 से 26 सितंबर, 2023 तक आयोजित होने वाले एशियन गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बिहार से एकमात्र महिला खिलाड़ी श्वेता शाही अंतरराष्ट्रीय रग्बी गर्ल के नाम से मशहूर है. बता दें कि, इस खेल के लिए बीते 29 जुलाई से दो महीने का कैंप साई कोलकाता में चल रहा है. इस कैंप में बिहार से पांच और पूरे भारत से 31 खिलाड़ी मौजूद हैं. इसमें बिहार से सिर्फ श्वेता शाही का चयन हुआ है.

एशियन गेम्स में भारत के लिए खेलेगी नालंदा की 'बेटी'! वूमेन रग्बी में है अंतरराष्ट्रीय चेहरा - After 17 years from bihar shweta shahi of nalanda will play for india in upcomingबिहार के लिए 17 साल बाद एशियाड गेम में किसी खिलाड़ी का चयन किया गया है. यह ज़िले और बिहार के लिए गर्व की बात है. नालंदा की बेटियों ने एक बार फिर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. श्वेता शाही स्थानीय बिहारशरीफ के सरदार पटेल कॉलेज की छात्रा है. वो मूल रूप से नालंदा थाना क्षेत्र के भदारी गांव की निवासी सुजीत शाही की बेटी है. वर्ष 2006 के बाद पहली बार कोई बिहारी खिलाड़ी एशियन गेम्स में पहली बार भाग लेगी. श्वेता के पिता सुजीत कुमार शाही किसान हैं. घरवालों के सहयोग से आज श्वेता शाही इस मुकाम पर पहुंची है. इस उपलब्धि पर उसके पिता और परिवार के साथ पूरे जिले में खुशी का माहौल है. इस उपलब्धि पर नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने श्वेता शाही को फोन कर बधाई देते हुए कहा है कि नालंदा की बेटी भारत का नाम रोशन कर के आएगी.

यूट्यूब से रग्बी खेल की बारीकियों को सीखा

श्वेता शाही ने फोन पर की गई बातचीत में बताया कि उसने यूट्यूब से रग्बी खेल की बारीकियों को सीखा है. एथलेटिक्स में रुचि रखने वाली श्वेता ने गांव के खेत और मैदान में खेल कर यह मुकाम हासिल किया है. संसाधनों के अभाव के बीच एक-एक सधे कदम रखते हुए अपनी राह बनाई और आज वह महिला रग्बी खिलाड़ियों के बीच आइकन बन चुकी है. वो राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिता में भाग लेकर कई खिताब अपने नाम कर चुकी है.

रग्बी एक लोकप्रिय खेल है, जो एक छोटे से गांव की लड़की के लिए इस खेल के बारे में सोचना भी बेईमानी सा लग रहा था. लेकिन माता-पिता भी अपनी पुत्री का हौसला बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहीं. शाही नवमी वर्ग में पढ़ाई के दौरान यूट्यूब के माध्यम से खेल के बारे में जानकारी हासिल कर भाई सुधांशु कुमार शाही के साथ खेलना शुरू की. भाई भी इस खेल में महारत हासिल करने में कामयाब रहा और राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी के रूप में भाई ने भी स्थान बनाया है.

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