इस सरकारी स्कूल में आने के लिए बच्चों के बीच लगती है होड़! सबसे पहले आने पर मिलता है इनाम

गया : बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 75% अनिवार्य कर दी गई है. विभागीय स्तर पर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर कई पहल की गई है. गया जिला में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर विभागीय पहल के अलावा स्कूल के शिक्षको के द्वारा अनूठा पहल किया जा रहा है. जिले के बांके बाजार प्रखंड के करमडीह प्राथमिक विद्यालय में सबसे पहले विद्यालय आने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए बिस्कुट, चॉकलेट, काॅपी और कलम दिया जाता है. यहां पर पिछले 1 साल से यह पहल जारी है. इसका नतीजा यह हुआ कि स्कूल में बच्चों की उपस्थिति रोजाना 80% से 90% तक रहती है.

शिक्षा विभाग की साइट पर सरकारी स्कूल के बच्चों की दिखेगी फोटो, खास स्कूलों के भी फोटो होंगे अपलोड111 बच्चों में से 85 से अधिक बच्चे रोजाना आते हैं स्कूल

बता दें कि प्राथमिक विद्यालय करमडीह में 111 बच्चों का नामांकन है. प्रतिदिन 85 से अधिक बच्चे रोजाना स्कूल आ रहे हैं. सबसे पहले स्कूल आने के लिए बच्चों में होड लगी रहती है. वैसे बच्चे जो सबसे पहले स्कूल आते हैं. उन्हें प्राइज के रूप में चॉकलेट, कलम, कॉपी या बिस्कुट दिया जाता है. प्राइज पाने के लालसा में सभी बच्चे 9 बजे से पहले स्कूल पहुंच जाते हैं. सबसे पहले आने वाले बच्चों के साथ स्कूल के शिक्षक सेल्फी लेते हैं और उसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और बीआरसी ग्रुप में रोजाना भेजा जाता है.

विद्यालय के शिक्षक अपने पैसे से बच्चों को रोजाना बिस्कुट चॉकलेट कॉपी या कलम बांटते हैं. उनके द्वारा की गई यह पहल पूरे जिले में सराहा जा रहा है. शिक्षकों के प्रयास से पिछले 1 साल से इस विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति हमेशा 75% से ऊपर रह रही है. विद्यालय के शिक्षकों के द्वारा यह पहल काफी सराहनीय है. इस तरह का पहल जिले के अन्य स्कूल के शिक्षक अगर करते हैं तो निश्चित रूप से सरकारी विद्यालय में बच्चों को उपस्थित बढ़ेगी.

ऐसे शुरू हुआ पहल

इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य धनेश्वरी कुमारी बताती है कि पहले बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती थी, इसके बाद हम लोग घर-घर जाकर अभिभावक से बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित किया. फिर भी बहुत कम बच्चे स्कूल आते थे. इसके बाद हम शिक्षकों के प्रयास से सबसे पहले आने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह के पहल की शुरुआत की. इसका नतीजा यह हुआ कि आज रोजाना 80% से ऊपर बच्चे स्कूल आ रहे हैं.

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