क’टाव से फिर हाहाकार, अपना आशियाना तोड़ने को मजबूर लोग

बेतिया : सिर्फ ईंट और पत्थर से बनी चारदिवारी नहीं होती, बल्कि लोगों का सपनों का आशियाना होता है. वो आशियाना जिसपर लोग अपने पूरे जीवन की कमाई न्यौछावर कर देते हैं. जिसकी हर एक ईंट यादों से जोड़ी जाती है, लेकिन जरा सोचिए कि इसी सपने के आशियाने को अपने हाथों से तोड़ना पड़े, तो इससे बुरा और क्या हो सकता है. पाई-पाई बचाकर जो घर बनाया, उसे खुद ही उजाड़ना पड़े तो उस शख्स पर क्या बीतता है. बिहारवासियों के लिए ये दर्द नया नहीं है. ना ही नए हैं ये हालात. जब नदियां अपने शबाब पर होती हैं तो आशियानों को निगलने लगती हैं.

18 houses were buried in the river due to erosion, fear among people | कटान  के चलते नदी में समा गए 18 मकान, लोगों में डर का माहौल - Dainik Bhaskarअपना आशियाना तोड़ने को मजबूर लोग

गांव के गांव नदी के आगोश में चले जाते हैं. क्या घर, क्या खेत. नदियों की लहरें सभी को लील लेती हैं. अभी बेतिया में कुछ ऐसे ही हालात हैं. जहां योगापट्टी प्रखंड के गंडक नदी के किनारे स्थित कई गावों पर कटाव का संकट फिर से मंडराने लगा है. ऐसे में लोगों के पास अपना घर बार तोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है. ग्रामीण अपने घरों को तोड़ रहे हैं ताकि उनका घर नदी में ना समाए और वो जो बचा-कुचा सामान है लेकर कहीं सुरक्षित जगहों पर ठिकाना ढूंढ सके.

ग्रामीणों की सुध नहीं ले रही प्रशासन

दरअसल, बीते एक सप्ताह में सिसवा खापटोला गांव के पास गंडक नदी के कटाव में दर्जनों घर समा चुके हैं. यही वजह है कि लोग जल्द से जल्द अपने गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. पक्के मकानों के साथ ही कच्चे घरों को भी ग्रामीण तोड़ रहे हैं. फूस के घरों को भी कटाव के डर से तोड़ा जा रहा है और बांस बल्ली निकाल कर लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है

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