शिक्षा के मन्दिर को खतरे की पाठशाला से सम्बोधित करते है लोग

सीवान: सरकार लगातार बच्चों की शत-प्रतिशत एवं शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर रोज नए आदेश निकालने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। वहीं दारौंदा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय रानीवारी में दो जर्जर कमरे में वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई पूरी कराई जा रही है।

स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर बच्चों को परिभाषित करने की प्रक्रिया शुरू -  beginning the process of defining children outside the scope of school  educationग्रामीण कहते हैं खतरों का पाठशाला

ग्रामीण इसे खतरों के पाठशाला कहकर संबोधित करने लगे हैं। इस विद्यालय की स्थापना 1961 में ग्रामीणों के सहयोग से किया गया। उस समय विद्यालय की भूमि तीन कट्ठा दस धूर में है। स्थापना के बाद बच्चों की संख्या अच्छी थी। वर्ष 2005-6 में इस विद्यालय को अपग्रेड कर उत्क्रमित मध्य विद्यालय बना दिया गया। विद्यालय का अपग्रेड कर दिया गया परंतु उस अनुपात में सुविधा नहीं बढ़ाया गया। यहां तीन कमरे में एक कमरे में बच्चों का एमडीएम बनाया जाता है। जबकि दो जर्जर कमरे में तीन वर्ग की पढ़ाई हो जाती है। जबकि शेष पांच कक्षा की पढ़ाई पेड़ के नीचे बैठकर करते हैं।

शौचालय की स्थिति भी खराब

इस विद्यालय में सत्र 2023-24 में कुल नामांकित छात्र -छात्रा की संख्या 174 है। कुल आठ शिक्षक पदस्थापित है।पेयजल के नाम पर एक चापाकल एवं एक शौचालय भी जर्जर अवस्था में है। वहीं, दूसरा शौचालय भी ध्वस्त हो गया है। कमरे का निर्माण कराने को लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक धनंजय उपाध्याय ने विभाग को आवेदन भी कई बार दिया है। सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था किस कदर बदहाल है, उसका एक उदाहरण दारौदा प्रखंड के रानीवारी विद्यालय में देखने को मिल जाएगा।

बारिश के मौसम में पढ़ाई हो जाती है बंद

यहां एक ही कमरे में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की कक्षा चलती है। दो कमरे में बैठे बच्चे कैसे पढ़ते होंगे, यह एक बड़ा सवाल है? सबसे अधिक परेशानियां बारिश के मौसम में होता है। ऐसे मौसम में पढ़ाई पूरी तरह से बंद  हो जाती है। आए दिन छत एवं खिड़की के पास से पत्थर या ईंट गिरते हैं। यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। बारिश के दिनों में खतरा बढ़ जाता है। इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक धनंजय उपाध्याय ने बताया कि जर्जर कमरे की मरम्मत कार्य कराने एवं नये विद्यालय भवन निर्माण की मांग विभाग से की गई है।

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