बिहार : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की सख्ती का बिहार की शिक्षा व्यवस्था में असर दिखने को लगा है. केके पाठक की सख्ती के बाद गोपालगंज में 50 हजार छात्र-छात्राओं के नाम स्कूलों से काट दिए गए हैं. ये सभी वैसे स्टूडेंट हैं, जो पिछले 15 दिनों से लगातार अपने विद्यालय से अनुपस्थित थे. विद्यालय के प्रधानाध्यापकों की रिपोर्ट पर जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने ये कार्रवाई की है, साथ ही 10वीं और 12वीं के परीक्षार्थियों की 75 फ़ीसदी से कम उपस्थित रहने पर उनके बोर्ड एग्जाम का प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जाएगा, ये भी फैसला लिया है.

गोपालगंज के डीईओ ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि यदि विद्यालयों का लगातार निरीक्षण किया जा रहा था और इसमें पाया जा रहा था कि बच्चे क्लास करने नहीं आ रहे हैं और उनकी उपस्थिति काफी कम है. ऐसे छात्रों के बारे में जब पता लगाया गया तो जानकारी हुई कि कई छात्र ऐसे हैं जिनका दो-दो विद्यालय में नाम चल रहा है. कुछ ऐसे भी छात्र थे, जिनका नाम प्राइवेट और सरकारी विद्यालय दोनों जगह एक साथ चल रहा था. ऐसे छात्रों को चयनित कर उनके नाम काटे जा रहे हैं. साथ ही जो छात्र सही है और सरकारी विद्यालय में नामांकन कराने के बाद नहीं आ रहे हैं, उन छात्रों के माता-पिता शपथ पत्र देंगे और विद्यालय बच्चों को प्रतिदिन भेजना का संकल्प लेंगे तो फिर से बच्चों के नाम स्कूलों में जोड़ दिये जाएंगे.

विद्यालय से लगातार छात्रों के नाम काटे जाने के बाद बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने लगी है. शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा पदाधिकारी के अलावा डीपीओ और प्रखंड शिक्षा पर अधिकारी भी लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर उपस्थिति की जांच कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के इस आदेश से छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों में भी हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, शिक्षा व्यवस्था की प्रणाली में लगातार सुधार भी हो रहे हैं. ऐसे में सरकारी विद्यालयों की कायाकल्प भी होने लगी है.