लोक आस्था का महापर्व छठ नजदीक आ गया है, छठ का त्यौहार मनाने के दौरान लोग हर छोटी बड़ी बात का पूरा ख्याल रखते हैं. चाहे ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं पिसवाना हो या भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए फल की खरीदारी करनी हो, लोग हर चीज सोच समझकर और पूरे शुद्धता के साथ करते हैं. लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि छठ के दौरान इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर चीज का अपना एक अलग महत्व होता है. जिस प्रकार छठ के दौरान बनाए जाने वाला ठेकुआ काफी प्रसिद्ध है, ठीक उसी प्रकार छठ के दौरान छठ व्रतियों के द्वारा इस्तेमाल में लाया जाने वाला कपड़ा भी उतना ही प्रसिद्ध है. इस कपड़े के इस्तेमाल से लेकर त्योहार के बाद भी इसका काफी महत्व होता है और ऐसी मान्यता है कि यह कपड़ा कई सारे बीमारियों को समाप्त कर देता है.
छठ व्रत के दौरान व्रतियों के द्वारा जो कपड़ा पहना जाता है उसे बोलचाल की भाषा में पालट कहते हैं. उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ का महत्व काफी अलग है, लेकिन इसका उतना ही महत्व लोक मान्यताओं के आधार पर भी है और यही कारण है कि इसे लोक आस्था का महापर्व भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि पालट से मुंह हाथ पोंछ लेने मात्र से इंसान की सभी प्रकार की शारीरिक बधाएं दूर होती हैं. अगर किसी व्यक्ति को त्वचा से संबंधित कोई रोग है तो उसे पालट से पोंछ लेना चाहिए.

व्रत के दौरान सिद्ध हो जाता है पालट का कपड़ा
छठ पर्व के दौरान जो कपड़ा व्रती के द्वारा धारण किया जाता है वह 36 घंटे के निर्जला उपवास के दौरान सिद्ध हो जाता है. उन्होंने बताया कि छठ के दौरान भगवान भास्कर की आराधना होती है और अलग-अलग प्रकार से सुबह-शाम पूजा पाठ किया जाता है. इस क्रम में वह कपड़ा सिद्ध हो जाता है और उसमें चमत्कारिक गुण आ जाते हैं. यही कारण है कि केवल चेहरा पोंछ लेने से वह कपड़ा कई प्रकार के लाभ लोगों को पहुंचा जाता है. मनोहर आचार्य ने बताया कि इसके लिए लोगों को चाहिए कि छठ पर्व की अगली सुबह जब भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है, उस दौरान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद उस कपड़े से अपना चेहरा प्रक्षालन करें. ऐसा करने से उनकी सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जायेंगे.