इस वर्ष किस दिन मनाया जाएगा मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त….

इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा जाता है। अंग की धरती पर सूर्य उपासना सदियों से होती आ रही है। इस वजह से भी सूर्य से जुड़ा पर्व यहां काफी श्रद्धा और धूम धाम से मनाया जाता है। खगोलशास्त्रियों के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन करके दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिस राशि में सूर्य की कक्ष का परिवर्तन होता है उसे संक्रांति कहा जाता है। इसके बाद से दिन बड़ा और रात्रि की अवधि कम हो जाती है।

shubh yog are being made on Makar Sankranti know history and significance  of makar sankranti

इस बार 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति क्यों?

मकर संक्रांति का वाहन अश्व और उप वाहन सिंह है दोनों की रफ्तार के प्रतीक होने के कारण देश में भी तरक्की की रफ्तार बढ़ने की संभावना है। तिलका मांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह 8:30 में एवं काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः मकर संक्राति 15 जनवरी सोमवार को ही मनाया जाएगा। गंगा स्नान का विशेष महत्व मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है।

इस मौके पर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं

इस बार व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं साथ ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है।

Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांतीला करा काळ्या तीळाचे उपाय, मिळेल सुख  समृद्धी - Marathi News | Makar Sankranti 2024 Do black sesame remedy on  Makar Sankranti you will get happiness and prosperity | TV9 ...

पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति

इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है। साथ ही जाने अनजाने में पूर्व जन्मों के किए गए पाप का क्षय हो जाता है। इस दिन देवी-देवता एक साथ प्रसन्न होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरण हुई थीं और राजा भागीरथ के पीछे -पीछे कपिल मुनि के आश्रम सें होती हुई गंगा सागर में पहुंची थी।

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading