पटना. बिहार की राजनीति में काफी उथल पुथल है. नीतीश कुमार के एक बार फिर गठबंधन का पाला बदलने की संभावना है. अचानक सामने आई इस परिस्थिति को लेकर राजद खेमा तो एकबारगी सकते में आ गया है. हालांकि, यह भी साफ है कि इस बार लुका छिपी का सियासी खेल नहीं खेला जा रहा है, बल्कि खुल्लम खुल्ला बातचीत हो रही है. जदयू और भाजपा के बीच समन्वय बिठाने की पूरी कवायद की जा रही है. एनडीए खेमा में नीतीश कुमार को लाने से पहले भाजपा और सहयोगियों की ओर से बड़ी रणनीति तैयार की गई है.

वहीं, दूसरी ओर राजद की ओर से लालू यादव अब सक्रिय हो गए हैं. शाम तक राजद के सभी विधायकों को पटना आने को कहा गया है और एकजुटता प्रदर्शित करने को कहा गया है. कहा जा रहा है राजद की ओर से जीतन राम मांझी को महागठबंधन में आने का ऑफर दिया गया है. सूत्रों से खबर है कि मांझी के बेटे संतोष सुमन को डिप्टी सीएम बनाने का वादा किए जाने की बात कही जा रही है.

हालांकि, जीतन राम मांझी ने साफ तौर पर ऐसे किसी भी ऑफर से इनकार किया है और एनडीए में बने रहने की बात दोहराई है. लेकिन, उन्होंने यह भी कह दिया है कि राजनीति संभावनाओं का खेल और यहां कभी भी कुछ हो सकता है. दूसरी ओर यह भी सूचना आ रही है कि लालू यादव की ओर से बैकडोर कम्यूनिकेशन जारी है और आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है.
इस बार शुरू से सतर्क रहे हैं लालू यादव
बता दें कि बिहार में महागठबंधन की सरकार को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव शुरू से सतर्क रहे हैं. इसको देखते हुए ही शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को हाल में उन्होंने हटाया था तो मंशा यही थी कि वह नीतीश कुमार से विवाद नहीं चाहते थे. लेकिन, अब उनको भी ऐसा लगने लगा है कि नीतीश कुमार कहीं ना कहीं कुछ करने वाले हैं क्योंकि इसके कई संकेत मिल रहे हैं. बताया जा रहा है कि लालू यादव ने भी तैयारी शुरू कर दी है.

विधान सभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए
दरअसल, 243 सदस्यीय विधान सभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए. वर्तमान में जदयू को मिलाकर अभी 160 सीटें हैं. वहीं, जदयू अगर इस महागठबंधन से निकल जाती है तो राजद के 79, कांग्रेस के 19, वाम दलों के 16 विधायक हैं. वहीं जीतन राम मांझी पर उनकी नजर है, क्योंकि उनके पास चार विधायक हैं. मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मिलने के बाद यह संख्या 118 हो जाती है. वहीं एआईएमआईएम के एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक पर भी उनकी नजर है.