कैबिनेट की मंजूरी, अब यूपी की तर्ज पर होगा बिहार में माफिया राज का खात्मा

पटना. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार ने भ्रष्टाचार और माफिया राज पर शिकंजा कसने की तैयारी पूरी कर ली है. अब सरकार न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बल्कि माफिया राज को नेस्तनाबुद करने के लिए नया कानून लाएगी. सरकार भ्रष्टाचार को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखकर माफियाओं और भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसेगी. इसके तहत भ्रष्टाचार को लेकर न केवल सरकार की सख्ती बढ़ेगी बल्कि इससे संबंधित सभी पहलुओं पर सरकार प्रहार भी करेगी.

Nitish Kumar latest stand pressure tactic or an alarm bell what is hidden  political message from Bihar to Delhi - India Hindi News - नीतीश कुमार का  ताजा स्टैंड प्रेशर टैक्टिक या

इसके लिए बिहार विधानमंडल के चालू बजट सत्र में ही कानून लाने की योजना सरकार बन चुकी है. मंगलवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में भ्रष्टाचार और माफिया राज पर सख्त कार्रवाई करने के लिए नए कानून के प्रारूप को स्वीकृति दी गई है. कैबिनेट की बैठक में कुल का पांच एजेंडों पर मोहर लगी. बैठक में गृह विभाग ने विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार के साथ ही राज्य की योजनाओं से माफिया तत्वों को बेदखल करने के लिए नए कानून के हनये मसौदे को रखा जिस पर सरकार ने अपनी मुहर लगाई.

कैबिनेट सूत्रों की मानें तो राज्य के सरकारी महकमों में होने वाली गड़बड़ी के साथ ही माफिया तत्वों से निपटने के लिए सरकार द्वारा नया कानून लाने की योजना बनाई गई है. नया कानून प्रभावी होने के बाद बिहार में भ्रष्टाचार को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखकर सबसे सख्त कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए प्रस्तावित कानून पहले की तुलना में और अधिक प्रभावी होगा. इसमें किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को गंभीर श्रेणी की अपराध में रखकर कार्रवाई की जाएगी.

अपराध की सजा 5 से 7 साल तक निर्धारित करने के नए प्रावधान कानून में शामिल किया जा रहे है. पहले रिश्वतखोरी के अपराध में रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान किया गया था. बिहार में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए फिलहाल तीन एजेंसियां कम कर रही हैं. इनमें आर्थिक अपराध इकाई निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और विशेष निगरानी इकाई है. इन तीनों एजेंसियों के पास पहले से काफी शक्तियां हैं. इन जांच एजेंसियों की शक्तियों को सरकार और भी बढ़ा सकती है.

इसके अलावा जांच एजेंसी को लेकर भी फैसला नये कानून में शामिल किया गया है. सरकार की मंशा है कि विधान मंडल के चालू सत्र में ही गृह विभाग के मौजूदा प्रस्तावित कानून का मसौदा पेश कर इसे ध्वनि मत से पारित करा लिया जाए.

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