भाजपा जदयू की तरह लालू का यादव उम्मीदवारों पर भरोसा, अन्य जातियों पर भी टिकी नजर

बिहार के चुनावी महासमर में किस दल से कौन लड़ाके मैदान में उतरेंगे यह तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। हालांकि, सीवान से राजद के टिकट पर कौन चुनाव लड़ेगा यह अब तक स्पष्ट नहीं है। दूसरी ओर विकासशील इंसान पार्टी के तीन और कांग्रेस के छह उम्मीदवारों के नाम भी अब तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन अब तक उम्मीदवारों की जो तस्वीर सामने आई है उससे साफ हो जाता है कि भाजपा-जदयू की की तरह लालू प्रसाद ने यादवों पर अपना भरोसा कायम रखा है। हालांकि, 2019 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में यादव प्रत्याशियों की संख्या जरूर कम हुई है, परंतु अन्य जातियों के प्रत्याशियों से इनकी संख्या सर्वाधिक है। दूसरी ओर, भाजपा-जदयू ने अपना पुराना रिकार्ड बनाए रखा है। उसमें कोई कटौती नहीं की है।

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लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने विरोधी या महागठबंधन के सहयोगी दलों की अपेक्षा सर्वाधिक भरोसा यादव जाति के उम्मीदवारों पर जताया है। 2024 के लोकसभा के अपने उम्मीदवारों में पार्टी ने सारण, बांका, दरभंगा, जहानाबाद, सीतामढ़ी, मधेपुरा, पाटलिपुत्र और वाल्मीकिनगर मिलाकर आठ यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने कितने यादवों को टिकट दी?

इसके पहले, राजद ने 2014 के लोकसभा चुनाव में छह यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन 2019 में पार्टी ने सर्वाधिक नौ टिकट यादवों को सौंप दिए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका, नवादा, शिवहर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, मधेपुरा, सारण, पाटलिपुत्र, और जहानाबाद मिलाकर कुल नौ सीटों पर जीत की जिम्मेदारी यादव उम्मीदवारों को सौंपी थी, लेकिन मोदी लहर में इन सीटों से सभी उम्मीदवार बुरी तरह पराजित रहे। दूसरी ओर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पार्टी ने छह यादव उम्मीदवार बनाए थे। इस दौरान मधेपुरा, सारण, खगड़िया, बांका, पाटिलपुत्र और नवादा में यादव उम्मीदवार थे। जबकि 2014 में भाजपा ने तीन और जदयू ने एक यादव उम्मीदवार दिया था।

इसी तरह, 2019 के चुनाव में भाजपा ने तीन और जदयू की ओर से दो यादव उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए थे। 2024 के चुनाव में यदि राजद ने आठ यादव उम्मीदवार दिए हैं तो भाजपा ने अपने कोटे से पाटलिपुत्र, मधुबनी और उजियारपुर समेत तीन सीटों पर और जदयू ने पूर्व की भांति दो सीटों बांका और मधेपुरा सीट के लिए यादवों पर दांव लगाया

2019 के चुनाव की अपेक्षाकृत लालू ने इस बार यादव उम्मीदवार के स्थान पर जातियों के नए विकल्पों पर नजर दौड़ाई है। लालू और तेजस्वी जातियों के नए विकल्पों पर इसलिए विचार कर रही है, क्योंकि बिहार में जातीय गणना के आर्थिक आंकड़े सामने आ गए हैं। डेटा से पता चलता है कि बिहार की कुल आबादी में यादव 14.26 है इसके बाद मोची, रविदास 5.2 और कुशवाहा-कोइरी की आदी 4.2 प्रतिशत हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि जाति आधारित गणना के आंकड़ों को देखते हुए लालू प्रसाद और तेजस्वी ने यादव के बाद अन्य जातियों की उम्मीदवारों पर किस्मत आजमाने का दांव लगाया है। जानकार मानते हैं कि यही वजह है कि शिवहर, गया, नवादा, औरंगाबाद, सुपौल, जमुई और हाजीपुर में प्रयोग के तौर पर कुशवाहा, रविदास समेत अनुसूचित जातियों पर भरोसा जताया है।

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