वट सावित्री पूजा: 6 को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत, जाने पूरी कथा

आर्यावर्त ज्योतिष केन्द्र महराजगंज के संस्थापक आचार्य लोकनाथ तिवारी ने बताया कि आगामी 6 जून दिन गुरूवार को वट सावित्री पूजा होगी। यह बहुत ही शुभदायक है। हर साल अखंड सौभाग्य की प्राप्ति एवं दामपत्य जीवन में शान्ति, सुखमय एवं कल्याणमय तथा घर में सुख शांति, धन धान्य आदि की समृद्धि के लिए व्रती महिलाएं वट वृक्ष का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन करती हैं। उन्होंने बताया कि 5 जून की शाम 6.47 बजे अमावस्या प्रारम्भ हो रहा है। महिलाएं वट सावित्री पूजा 6 जून को प्रात: 6.57 बजे से लेकर शाम 5.38 बजे से कर सकेंगी। अभिजीत मुहूर्त दिन में 11. 36 बजे से दोपहर 12.54 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी होगा।

Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री के दिन किस विधि से करें बरगद के पेड़ की पूजा? | vat savitri vrat 2024 banyan tree puja vidhi | HerZindagiउन्होंने बताया कि व्रती महिलाएं प्रात: काल में स्नान आदि करने के बाद पूजन सामग्री लेकर वट वृक्ष एवं पीपल वृक्ष के पास जाकर पिसी हल्दी, सिन्दूर, अच्छत, फूल,धूप, दीप,नैवेद्य आदि से पूजन कर एक सौ आठ परिक्रमा कर अपनी कामना के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करती हैं। वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

सत्यवान -सावित्री की कथा इस प्रकार है

राजर्षि अश्वपति की एकमात्र संतान थीं सावित्री। सावित्री ने वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह किया था। लेकिन जब नारद जी ने उन्हें बताया कि सत्यवान की आयु आधी हैं, तो भी सावित्री ने अपना फैसला नहीं बदला और सत्यवान से सब कुछ जानबूझकर शादी कर ली।  सावित्री सभी राजमहल के सुख और राजवैभव त्याग कर सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। जिस दिन सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था, उस दिन वह लकड़ियां काटने जंगल गए हुए थे। अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। तीन दिन से उपवास में रह रही सावित्री को पता था कि क्या होने वाला है , इसलिए बिना विकल हुए उन्होंने यमराज से सत्यवान के प्राण न लेने की प्रार्थना की। लेकिन यमराज नहीं माने।

तब सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं, तो सावित्री के साहस और त्याग से यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने सत्यवान के दृष्टिहीन माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, उनका छिना हुआ राज्य मांगा और अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए। उस समय सावित्री अपने पति को लेकर वट वृक्ष के नीचे ही बैठी थीं। इसीलिए इस दिन महिलाएं अपने परिवार और जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना करते हुए वट वृक्ष को भोग अर्पण करती हैं, उस पर धागा लपेट कर पूजा करती हैं।

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