फिर याद आयी दशरथ मांझी और फगुनिया की प्रेम कहानी, सांसों की डोर टूटी तो पहाड़ तोड़ डाला

गया: प्यार की यह अद्भुत कहानी बिहार के गया जिले के गहलौर घाटी की है. गहलौर के दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के प्रेम में ऐसा जुनून दिखाया कि दुनिया हैरान रह गई. गया के पहाड़ी क्षेत्र के गहलौर गांव की यह कहानी आज प्यार करने वालों के लिए एक उदाहरण है.

साथ ही यह परिभाषा भी कि सच्चा प्रेम क्या होता है. दशरथ मांझी अपने हाथों से 22 सालों तक उस पहाड़ की चट्टानों को काटते रहे, जहां उनकी पत्नी ‘फगुनिया’ की मौत हुई थी.

कुछ ऐसी थी दशरथ मांझी-फगुनिया की लव स्टोरी : दशरथ मांझी के माउंटन मैन बनने का सफर उनकी पत्नी फगुनिया के ज़िक्र किए बिना अधूरा है. साल 1959, दशरथ दशरथ मांझी एक मजदूर थे. पहाड़ों पर जाकर काम करते थे. पत्नी फाल्गुनी देवी (फगुनिया देवी) उनके लिए रोज उबड़ खाबड़ पहाड़ के रास्ते खाना और पानी लेकर आया करती थी.

वर्ष 1959, उस दिन रोज की तरह पत्नी फाल्गुनी देवी अपने पति दशरथ मांझी के लिए खाना और पानी लेकर पहाड़ के रास्ते जा रही थी. उसी वक्त उनका पैर फिसला.

यहीं से शुरू हुआ दशरथ मांझी का इंतकाम : फाल्गुनी का घड़ा फूटा और गंभीर चोट लगी. नजदीक का अस्पताल करीब 55 किलोमीटर दूर था. गहलौर और जिद्दी पहाड़ की वजह से मांझी की फगुनिया को वक्त पर इलाज नहीं मिल सका और वो चल बसीं. इस घटना से बाबा दशरथ मांझी काफी आहत हुए. इसके बात यहीं से शुरू हुआ दशरथ मांझी का इंतकाम.

मांझी ने छेनी हथौड़ी उठाई, पहाड़ काटना शुरू किया : पत्नी से दिलो जान से प्रेम करने वाले दशरथ मांझी ने फाल्गुनी की मौत के बाद दृढ़ संकल्प लिया, कि वे पहाड़ काटकर रास्ता बनाएंगे. पत्नी के दुनिया से चले जाने का गम था, मांझी टूट चुके थे. ऐसे वक्त में अपनी सारी ताकत बटोरी और छेनी-हथौड़ी से पहाड़ पर वार करने का फैसला लिया.

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