बिहार के गया में सिद्धि पाने के लिए एक परिवार ने मौत की ऐसी झूठी कहानी बनाई, जिस पर लोगों ने यकीन भी कर लिया लेकिन 22 दिन बाद उसकी पोल खुल गई. बाबा बागेश्वर की तरह पर्ची वाले ‘सिद्ध बाबा’ बनने के टोटके को पूरा करने के लिए बाप-बेटे ने मिलकर अजीबोगरीब साजिश रची. साजिश के तहत 14 साल के किशोर को दूसरी जगह भिजवाया, फिर यह बात फैलाया कि उसका सिर कटा शव मिला है. शव को दफनाने का झूठा खेल भी खेला.

परिवार का अजीबोगरीब कारनामा: इस परिवार ने 22 दिन पहले यह कारनामा किया था. 22 दिन के बाद जब 14 साल का किशोर घर लौटा तो लोग सन्न रह गए. जब पूरा कारनामा खुला तो यह कांड अब चर्चा का विषय बना हुआ है. लोगों के मुताबिक 14 साल का किशोर पर्ची निकालने का काम भी करता था. वह बाबा बागेश्वर की तरह प्रसिद्धि पाना चाहता था. संभवत किसी के कहने पर इस परिवार ने यह अजीबोगरीब हथकंडा रचा. वहीं, पुलिस का कहना है कि न तो किसी का अंतिम संस्कार किया गया और न ही किसी की मौत हुई. सिद्धि प्राप्ति करने के लिए यह मनगढ़ंत खेल इस परिवार ने मिलकर खेला.

बाबा बागेश्वर बनने की चाहत में अपनाया हथकंडा: मामला गया जिले के डेल्हा थाना क्षेत्र का है. छोटकी नवादा पंचमोहनी के पास किराए के मकान में रहने वाला राजू कुमार का 14 वर्षीय पुत्र इधर कुछ महीनो से पर्ची निकालने का काम करता था. पर्ची निकालने से उसकी प्रसिद्धि होने लगी थी. कुछ लोगों को लाभ महसूस हुआ तो चर्चा हुई और फिर इसकी प्रसिद्धि होने लगी थी. इसके बाद इस परिवार ने बाबा बागेश्वर की तरह 14 वर्षीय बेटे को फेमस करने के लिए किसी के कहने पर अजीबोगरीब हथकंडा अपनाया.

शव मिलने की बात कहकर दफनाया: बाबा बागेश्वर की तरह माहिर होने के लिए इस परिवार ने मिलकर टोटके को अपनाया. योजना के तहत 14 साल के बेटे को पर्चा निकालने के काम में माहिर बनाने के लिए दूसरी जगह गोपनीय तरह से रख दिया. इसके बाद मोहल्ले में उसका सिर कटा शव मिलने की बात कहकर पुतले का अंतिम संस्कार कर दिया. पूरे प्रकरण में किसी तरह की जानकारी डेल्हा थाना की पुलिस को नहीं दी गई. अंतिम संस्कार के सारे कर्मकांड दशमा आदि भी किए गए.

22 दिन बाद लौटा तो खुली पोल: एक ओर परिवार ने अंतिम संस्कार कर दिया था तो दूसरी ओर वह लड़का 22 दिनों के बाद जिंदा लौट आया. जब वह जिंदा लौटा तो पूरे मोहल्ले में यह खबर आग की तरफ फैल गई. मोहल्ले के लोग भी हैरान थे कि जब इसका शव परिवार को मिला तो फिर यह जिंदा कैसे लौट आया? बात डेल्हा थाना की पुलिस तक पहुंची तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने सख्ती बरती और परिवार वालों से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने सच्चाई बताई.
पिता कंपाउंडर, बेटा पर्ची वाला बाबा: 14 साल का बेटा जहां बाबा बागेश्वर की तरह पर्ची वाला बाबा बनने की कला सीख रहा था, जबकि उसका पिता रा
जू कुमार पेशे से कंपाउंडर है. लोगों का मानना है कि पर्ची से आने वाले बीमार लोगों को कंपाउंडर द्वारा अच्छी दवाई दिए जाने से ठीक हो जाते थे. दवा को भभूत आदि में मिलाकर दिया जाता होगा और लोग ठीक होते होंगे और इसके बीच पर्ची वाले बाबा बागेश्वर के रूप में 14 साल के बेटे को प्रसिद्धि दिलाने का हथकंडा अपनाया था.
पिता ने क्या कहा?: पिता राजू कुमार ने बताया कि शिवरात्रि के दो दिन पहले मेरा बेटा अपने दोस्त से मिलने गया था लेकिन शाम तक वह नहीं लौटा तो मेरे परिवार के लोग खोजने निकले. इस बीच रामशिला मोड़ के पास कुछ लोग हेलमेट लगाए हुए बाइक पर सवार थे, जो उसके पास तेजी से आए और हाथ में पर्ची देकर भाग निकले. पर्ची में उसके बेटे की हत्या कर देने और शव को कंडी नवादा के पास चिल्ड्रन पार्क के पीछे होने की बात लिखी थी. पर्ची में यह भी लिखा था कि यह बात पुलिस या किसी अन्य को बताने पर उसके और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी जाएगी.

बच्चे ने क्या बोला?: वहीं, बच्चे ने बताया कि दोस्त से मिलकर वह अपने घर लौट रहा था तो रास्ते में चार लोगों ने हथियार दिखाकर उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उसे बाइक से कहीं ले गए. इसके बाद उसे इतना ही याद है कि उसके गले पर धारदार हथियार रखा गया था. इस घटना के बाद वह हनुमान मंदिर पटना में बेहोश पड़ा था. एक महिला आई और उसका नाम-पता पूछकर उसके घर पर लेकर चली आई.
पुलिस की सख्ती के बाद सच सामने आया: हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद मौके पर पहुंची डेल्हा थाना की पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी. पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो असलियत सामने आ गई. परिवार ने माना कि सिद्धि प्राप्ति और फेमस होने के लिए इस तरह का हथकंडा अपनाया था. डेल्हा थानाध्यक्ष देवराज ने बताया 14 साल के किशोर की न तो मौत हुई थी और न तो शव दफनाया गया था. एक मनगढ़ंत कहानी बनाई गई थी.