मुजफ्फरपुर: कायस्थ समाज की प्रतिष्ठित संस्था चित्रगुप्त एसोसिएशन, जिसकी स्थापना 1930 में समाज के उत्थान के उद्देश्य से की गई थी, आज एक बार फिर चर्चा में है। एसोसिएशन की वर्तमान कार्यकारिणी ने न सिर्फ संस्था की पुरानी गरिमा को पुनर्स्थापित किया है, बल्कि अतिक्रमण मुक्त कराकर ऐतिहासिक कार्यों की शुरुआत भी की है।

वर्तमान कमेटी का दावा है कि 1980 से 1985 के बीच संस्था की बहुमूल्य जमीन पर कुछ स्थानीय लोगों और समाज के ही कुछ व्यक्तियों ने कब्जा कर लिया था। एसोसिएशन के मुख्य द्वार के दोनों ओर की कीमती ज़मीन और परिसर के बीचोंबीच बने आम रास्ते पर भी अतिक्रमण हो गया था, जिससे संस्था की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो रही थी।
लेकिन मौजूदा कार्यकारिणी के सदस्यों ने इस अतिक्रमण को हटाने के लिए अथक मेहनत की और कानूनी व सामाजिक प्रयासों के बल पर संस्था की भूमि को अतिक्रमणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराया। इसके साथ ही संस्था के आंगन में स्थित भगवान चित्रगुप्त के छोटे से मंदिर को भव्य रूप दिया गया है, जो अब श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था केंद्र बन चुका है।

परिसरों सौंदर्यीकरण और सामाजिक योजनाओं का केंद्र बना एसोसिएशन
पुराने खंडहरनुमा खपरैल मकानों को हटाकर आधुनिक भवन बनाए गए हैं। एसोसिएशन के मुख्य द्वार के पास की खाली कराई गई भूमि पर दुकानें बनाई गईं, जिन्हें चित्रांश समाज के लोगों को आवंटित किया गया है। इसके अलावा, परिसर के बीचोंबीच से निकलने वाले आम रास्ते को भी बंद करा दिया गया है, जिससे अब एसोसिएशन पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित दिखती है।
भविष्य की योजनाएं:
वर्तमान कमेटी ने जहां संस्था को पुनर्जीवित किया है, वहीं आने वाले दिनों के लिए कई बड़ी योजनाएं भी तैयार की हैं—
• चित्रगुप्त भगवान की आदमकद प्रतिमा की स्थापना
• चित्रांश बहुल मुहल्लों में नए मंदिरों की स्थापना
• गरीब चित्रांश छात्रों के लिए शिक्षा और कोचिंग की समुचित व्यवस्था
• एसोसिएशन परिसर में वाचनालय और बुजुर्गों के लिए हेल्थ सेंटर
• वार्ड स्तर पर चित्रांश समितियों का गठन
इन योजनाओं से साफ है कि चित्रगुप्त एसोसिएशन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में आगे बढ़ रही है, बल्कि सामाजिक सेवा और समाज को संगठित करने के मार्ग पर भी अग्रसर है।
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वर्तमान कमेटी की यह मेहनत और विकास कार्य उन्हें पुनः सत्ता में लौटने का अवसर दिलाएंगे, या फिर समाज कुछ नया प्रयोग करना चाहेगा।






