सीवान/छपरा: पाकिस्तान की ओर से की गई एक और कायराना हरकत ने बिहार को गहरे शोक और गुस्से में डुबो दिया है। जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर 9 मई को हुई गोलीबारी में बिहार के दो वीर जवान—सीवान के रामबाबू प्रसाद और छपरा के BSF सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज—शहीद हो गए। देश के लिए बलिदान देने वाले इन सपूतों की शहादत ने न केवल उनके गांवों को, बल्कि पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया है।

शादी के 3 महीने बाद शहीद हुए रामबाबू
सीवान जिले के वसिलपुर गांव के रहने वाले आर्मी जवान रामबाबू प्रसाद की शादी इसी साल फरवरी में हुई थी। नई-नई शादी के कुछ ही दिन बाद वे ड्यूटी पर लौट गए थे, लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह उनकी पत्नी से अंतिम विदाई होगी।
9 मई को पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कई दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 13 मई की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनकी शहादत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, चारों तरफ मातम पसर गया। हर आंख नम है, लेकिन सीना गर्व से चौड़ा भी है। गांववालों ने बताया कि रामबाबू बचपन से ही देश सेवा के सपने देखा करते थे।
“अभी तो नई जिंदगी शुरू हुई थी, और पाकिस्तान ने उजाड़ दी,” रामबाबू की मां की यह पुकार पूरे बिहार की वेदना बन गई है।

छपरा के मोहम्मद इम्तियाज भी शहीद, नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक
इसी हमले में छपरा जिले के नारायणपुर गांव के रहने वाले BSF सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज भी शहीद हो गए। आरएस पुरा सेक्टर में तैनाती के दौरान उन्हें गोली लगी थी। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। 12 मई को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
“भारत माता की जय” और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारों से गांव गूंज उठा। हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। यह केवल शोक नहीं, आक्रोश था—एक ऐसे दुश्मन के खिलाफ जो पीठ पीछे वार करता है।

पूरा बिहार गुस्से में, कब मिलेगा करारा जवाब?
दो जवानों की शहादत ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है—आखिर कब तक पाकिस्तान की नापाक हरकतों को भारत सहन करता रहेगा?
बिहार के लोगों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि शहीदों की शहादत का बदला लिया जाए। सोशल मीडिया पर भी आक्रोश साफ दिख रहा है—लोग पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं।
सरकार और सेना के अधिकारी भी सतर्क
स्थानीय प्रशासन और सेना ने शहीद परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। शहीद रामबाबू का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव पहुंचाया जाएगा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
ये सिर्फ दो जवान नहीं थे, ये पूरे देश की आन-बान-शान थे। अब वक्त आ गया है कि देश एकजुट होकर अपने वीरों की शहादत का जवाब मांगे—शब्दों से नहीं, कार्रवाई से।






