मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर सियासी संग्राम! वैश्य-भूमिहार गुट आमने-सामने, कांग्रेस विधायक की ‘चुप्पी’ से एनडीए में हलचल

प्रकाश सिन्हा (संपादक) की कलम से।

मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट इस बार सियासी घमासान का केंद्र बन गई है। एनडीए खेमे में टिकट को लेकर वैश्य समाज और भूमिहार समाज के नेताओं के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है। वहीं, मौजूदा विधायक विजेन्द्र चौधरी की रणनीतिक चुप्पी ने इस सीट की राजनीति को और पेचीदा बना दिया है। चर्चाओं के मुताबिक वे वक्त आने पर पाला बदल सकते हैं, जिससे एनडीए और इंडिया गठबंधन — दोनों खेमों की गणित उलझ गई है।

विवेक कुमार, वर्तमान भाजपा ज़िलाध्यक्ष (पूर्वी) एवं पूर्व उपमेयर
निर्मला साहु (वर्तमान मेयर, मुजफ्फरपुर)
केदार प्रसाद गुप्ता (वर्तमान मंत्री)

📌 वैश्य समाज की जबरदस्त दावेदारी

मुजफ्फरपुर सीट पर इस बार वैश्य समाज की तरफ से एनडीए टिकट की सबसे मजबूत दावेदारी पेश की गई है। वैश्य समाज के तीन कद्दावर नेता पूरी ताकत से सक्रिय हैं —

विवेक कुमार : भाजपा मुजफ्फरपुर (पूर्वी) के जिलाध्यक्ष। संगठन में मजबूत पकड़ और वैश्य समाज का बड़ा समर्थन। निर्मला साहू : वर्तमान नगर निगम की मेयर। महिला और वैश्य समाज की लोकप्रिय नेता। केदार प्रसाद गुप्ता : वर्तमान बिहार सरकार के मंत्री। लंबे राजनीतिक अनुभव और वैश्य समाज में मजबूत प्रभाव।

संगठन और समाज में इन तीनों की सक्रियता और सामाजिक समीकरण को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार एनडीए नेतृत्व वैश्य समाज को मौका देकर जातीय संतुलन साध सकता है।

सुरेश कुमार शर्मा (पूर्व मंत्री)
अजित कुमार (पूर्व मंत्री)
रंजन कुमार (पूर्व भाजपा ज़िलाध्यक्ष)

📌 भूमिहार समाज भी मैदान में

दूसरी तरफ, भूमिहार समाज के तीन दिग्गज नेता भी मैदान में डटे हैं —

सुरेश कुमार शर्मा : पूर्व नगर विकास मंत्री और पूर्व विधायक। भाजपा और भूमिहार समाज में मजबूत पकड़। ई. अजीत कुमार : कांटी के पूर्व विधायक। भले ही फिलहाल कांटी सीट जदयू के खाते में जा रही है, लेकिन वे मुजफ्फरपुर सीट पर भी सक्रिय। रंजन कुमार : पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष। संगठन और समाज में प्रभावी उपस्थिति।

इन तीनों नेताओं की हालिया गोपनीय बैठक ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर जी द्वारा साझा की गई इस तस्वीर ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को और हवा दे दी।

📌 विजेन्द्र चौधरी का रणनीतिक मौन

वर्तमान में कांग्रेस विधायक विजेन्द्र चौधरी भी इस मुकाबले का अहम हिस्सा हैं। वे फिलहाल इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, लेकिन स्थानीय सियासत में उनके भाजपा या एनडीए के साथ खड़े होने की अटकलें लंबे समय से चल रही हैं। जानकारों की मानें तो समय और परिस्थिति को देखते हुए वे पाला बदल सकते हैं। यही वजह है कि एनडीए के भीतर उनकी संभावित भूमिका को लेकर भी रणनीति बन रही है।

📌 एनडीए के सामने जातीय संतुलन की चुनौती

मुजफ्फरपुर सीट पर एनडीए को जातीय समीकरण बड़ी चतुराई से साधना होगा। एक तरफ भूमिहार समाज के पुराने नेता टिकट के दावेदार हैं, तो दूसरी ओर वैश्य समाज ने संगठित तरीके से अपनी दावेदारी मजबूत की है। ऊपर से विजेन्द्र चौधरी की संभावित चाल से समीकरण और उलझ गया है।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा और एनडीए नेतृत्व जातीय संतुलन, सामाजिक संदेश और चुनावी जीत — तीनों पहलुओं को ध्यान में रखकर टिकट बंटवारे की तैयारी कर रहा है।

📌 अब आगे क्या?

सियासी विश्लेषकों के मुताबिक मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट इस बार बिहार की सबसे दिलचस्प सीट बन सकती है। वैश्य-भूमिहार का टकराव, कांग्रेस विधायक का संभावित पाला बदलना और एनडीए की जातीय संतुलन साधने की कवायद — इन सबने इस सीट को राजनीतिक थिंक-टैंक का केंद्र बना दिया है।

अभी तक एनडीए या भाजपा की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अंदरखाने गहन मंथन जारी है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे टिकट फाइनल होगा, मुजफ्फरपुर की सियासत में नया मोड़ आना तय है।

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