
ख़ास बात यह भी है कि यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है। यह शिवलिंग जमीन से लगभग 18 फीट ऊंचा और 20 फीट गोलाकार है। राजस्व विभाग द्वारा हर साल इसकी उचांई नापी जाती है, जिसमें हर साल यह 6 से 8 इंच तक बढ़ा हुआ पाया जाता है। हर साल सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार को यहां मेले जैसा नज़ारा देखने को मिलता है। इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन करने और जल चढ़ाने दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पहुँचते हैं।

इस शिवलिंग को यहां भूतेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग होने की मान्यता प्राप्त है। इस शिवलिंग के आकार के लगातार हर साल बढ़ने की विशेषता की वजह से ही यहां हर साल भक्तों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

बताया जाता है कि इस शिवलिंग के बारे में कई साल पहले जमींदारी प्रथा के समय पारागांव निवासी शोभा सिंह जमींदार की यहां पर खेती-बाड़ी थी। शोभा सिंह हर शाम अपने खेत में घूमने जाते थे। उस खेत के पास एक विशेष आकृतिनुमा टीले से सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाज आती थी।

