
रईसपुर निवासी दीपा प्रसव के लिए संजयनगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल में भर्ती हुई थीं। चार दिन पहले ही उनको कन्यारत्न की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद से ही उन्हें और उनके शिशु को अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में भर्ती रखा गया था। सोमवार को उनको अस्पताल से छुट्टी दी जानी थी। डिस्चार्ज के दस्तावेज उनके पति भीम तैयार कराने के लिए गई थे। डिस्चार्ज होने के दो घंटे पहले ही नवजात शिशु और मां को बेड खाली करने के लिए बोल दिया गया। दोनों को पास के ही दूसरे बेड पर भेज दिया गया। जिस बेड पर दोनों को भेजा गया उसपर पड़ा गद्दा पूरी तरह से फटा हुआ था। यही नहीं उस पर चादर तक नहीं बिछाई गई थी। पेरामेडिकल स्टाफ ने शिशु को फटे गद्दे पर बिना चादर लेटा दिया गया। इसका मां ने विरोध किया लेकिन वार्ड में तैनात नर्स और वार्डब्वाय नहीं मानें। काफी देर तक जब चादर नहीं बिछाई गई तो मां ने अपनी तरफ से कपड़ा बिछाया।
Source ; live hindustan