#BIHAR #INDIA : चो’री, ड’कैती, लू’ट और गृह भे’दन (सेंधमारी) जैसे आप’राधिक घ’टनाओं के पुराने मामलों की जांच बंद की जाएगी। पुलिस मुख्यालय ने इसको लेकर बड़ा निर्णय लिया है। पुराने मामलों की जांच फिलहाल पुलिस बंद करेगी। लेकिन किसी गि’रफ्तारी में यदि पुराने मामले का खुलासा होता है तो दोबारा उस केस को खोला (री ओपन) जाएगा।

संपत्ति की चो’री और लू’ट से जुड़े सभी मामलों को बंद नहीं किया जाएगा। सिर्फ वैसे ही मामलों की जांच बंद होगी जो एक साल से ज्यादा पुराने हैं। वैसे मामले जो पुराने है और उनमें पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिला है, उन्हें ही बंद किया जाएगा। बिहार पुलिस ने इस बाबत न सिर्फ निर्णय लिया है बल्कि जिला पुलिस को निर्देश भी दिए गए हैं।

संपत्ति चो’री या लू’ट-डकै’ती से जुड़े मामलों में भले ही केस बंद करने का निर्णय लिया गया है पर केस दोबारा खोलने विकल्प भी रहेगा। बंद किए गए ऐसे आ’पराधिक मामलों में यदि कोई साक्ष्य हाथ लगता है या फिर अ’पराधी की गि’रफ्तारी से इसका खुलासा होता है तो केस को री ओपन किया जाएगा। अनुसंधान पूरा कर आरोप-पत्र समर्पित किए जाएंगे और ट्रायल चलेगा।

संपत्ति से जुड़ी घटनाओं में एक साल से पुराने मामले को बंद करने का फैसला कई कारणों से लिया गया है। चो’री, लू’ट या डकै’ती जैसे मामलों में उद्भेदन की संभावना शुरुआत में ही ज्यादा होती है। समय गुजरने के साथ अ’पराधियों की गिर’फ्तारी नहीं होने से चो’री या लूटे गए सामान की बरामदगी की संभावना न के बराबर होती है। जबतक सामान की बरामदगी नहीं होती साक्ष्य मजबूत नहीं होता। ऐसे में केस लंबित रहता है।

पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रवीन्द्र कुमार के मुताबिक पुलिस केस का अनुसंधान बंद कर सकती है। अपराधी की गिरफ्तारी नहीं होने या लम्बे समय तक साक्ष्य नहीं मिलने पर केस बंद किया जाता है। पर केस की जांच दुबारा शुरू करने से पहले कोर्ट को इसकी सूचना देनी होगी। वहीं कई दफे पुलिस आ’पराधिक इतिहास के आधार पर गि’रफ्तार बदमाश का नाम पुराने मामलों में डाल देती है। इससे बेवजह किसी बदमाश का नाम केस में डालने का धंधा भी बंद होगा।
01 मई 2017 के पूर्व दर्ज मामलों में 39 हजार केस लंबित थे जून 2019 तक
एक वर्ष से अधिक पुराने मामलों का अनुसंधान बंद करने का हुआ निर्णय
चो’री-ड’कैती, लू’ट और सेंधमारी जैसे पुराने लंबित मामले बंद किए जाएंगे
अप’राधी पकड़ा गया और साक्ष्य मिलता है तो दुबारा शुरू होगा अनुसंधान